LOC पर आग उगल रहीं हैं पाकिस्तानी तोपें, हजारों नागरिकों ने घर खाली किए

श्रीनगर। सीमाओं पर सीजफायर के बावजूद पाकिस्तानी तोपखाने एलओसी पर आग उगल रहे हैं। नतीजतन हजारों लोगों को एलओसी के गांवों से बेघर होना पड़ा है। इंटरनेशनल बार्डर के इलाकों में भी यही कश्मकश है, जहां पाक गोलियों की बरसात सीमावासियों को बोरिया बिस्तर बांधने पर मजबूर कर चुकी है। पाकिस्तानी सैनिकों ने सोमवार को लगातार तीसरे दिन राजौरी जिले में एलओसी के पास के इलाकों में गोलाबारी की जिससे 10 हजार लोग प्रभावित हुए हैं और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले 2,100 लोगों को वहां से निकाला गया। 

एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने राजौरी सेक्टर में एलओसी के पास सुबह 6 बजकर 45 मिनट से एक बार फिर छोटे हथियारों, 82 मिमी और 120 मिमी मोर्टारों से अंधाधुंध गोलाबारी शुरू की है तथा भारतीय सेना की चौकियां प्रभावी और मजबूत ढंग से जवाब दे रही हैं। गोलीबारी जारी है। राजौरी जिले में एलओसी पर पिछले 3 दिनों से गोलीबारी हो रही है। राजौरी के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने कहा कि राजौरी के 'चिटीबकरी' इलाके में संघर्ष विराम के ताजा उल्लंघन की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि राजौरी के मंजाकोटे इलाके में भारी गोलीबारी सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई।

7 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं। चौधरी ने कहा कि कई इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा है। नौशहरा सेक्टर के 51 स्कूलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया है जबकि मंजाकोट और डूंगी क्षेत्रों के 36 स्कूलों को 3 दिन के लिए बंद किया गया है। 87 स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 4,600 है।

उपायुक्त चौधरी ने कहा कि गोलीबारी की इन घटनाओं से 2,694 परिवारों के 10,042 लोग प्रभावित हुए हैं। इनमें 3 लोग मारे गए हैं, 6 घायल हो गए और 65 मवेशी मारे गए और खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा 11, 13 और 14 मई की गोलीबारी में 45 मकान आंशिक तौर पर अथवा गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जिला प्रशासन ने मारे गए लोगों के परिजनों को 1-1 लाख की तत्काल राहत राशि दी है साथ ही घायलों की भी अर्थिक सहायता की है।

पाकिस्तान की गोलीबारी के बाद प्रशासन ने अब तक 298 परिवारों के 1,114 लोगों को नौशहरा में बने 5 राहत शिविरों में पहुंचाया है। उपायुक्त चौधरी ने कहा कि अधिकारियों और पुलिस ने अपनी जिंदगी को दांव पर लगाते हुए गोलाबारी से प्रभावित विभिन्न गांवों से 2,110 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला और जिला प्रशासन द्वारा स्थापित विभिन्न शिविरों में पहुंचाया। इन शिविरों में राशन, भोजन पकाने, पेयजल, स्वच्छता, प्राथमिक उपचार और रहने की उचित व्यवस्था जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 3 शिविरों का संचालन शुरू किया जा चुका है और प्रभावित गांवों से संभावित प्रवास को ध्यान में रखते हुए 28 अन्य शिविरों को अधिसूचित कर दिया गया है।

घायलों को उपचार के लिए ले जाने के लिए 6 एम्बुलेंसों को लगाया गया है। नौशहरा में एक मोबाइल मेडिकल यूनिट को लगाया गया है और एक यूनिट अग्रिम इलाकों में लगाई गई है। राहत शिविर में सुविधाओं की व्यवस्था के लिए विभिन्न विभागों के लगभग 120 अधिकारी लगाए गए हैं। समन्वय के लिए एसडीएम नौशहरा के दफ्तर में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

इतना जरूर था कि इंटरनेशनल बॉर्डर पर ऐसे किसी कैम्प की स्थापना नहीं की गई थी जहां लोगों ने अपने बच्चों तथा बुजुर्गों को सीमा से पीछे के गांवों में अपने रिश्तेदारों के पास पहुंचा दिया है और रात बंकरों में गुजारने पर मजबूर हो रहे हैं।

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