शिवराज सिंह नहीं चाहते थे कर्मचारियों को जल्दी डीए दे दिया जाए | EMPLOYEE

भोपाल। मंगलवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में मध्यप्रदेश शासन के नियमित अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ अध्यापक, पंचायत सचिव, स्थाई कर्मी और पेंशनरों को एक जनवरी से सात फीसदी महंगाई भत्ता (डीए) और राहत राशि मंजूर कर दी गई। सरकार ने डीए 132 प्रतिशत से बढ़ाकर 139 फीसदी कर दिया है। जनवरी से अप्रैल तक के एरियर का भुगतान जून में नकद किया जाएगा, लेकिन चौंकाने वाली खबर यह है कि सीएम शिवराज सिंह नहीं चाहते थे कि यह फैसला 09 मई 2017 को ही हो जाए। वो इसे थोड़ा पेंडिंग करना चाहते थे। कुछ मंत्री भी यही चाहते थे कि हड़ताल कर रहे कर्मचारियों को फिलहाल कुछ ना दिया जाए लेकिन अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव की सिर्फ एक दलील ने यह प्रस्ताव पास करवा दिया। 

कैबिनेट में जब डीए बढ़ाने के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी, तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वित्त मंत्री जयंत मलैया से कहा कि आप जल्दी पिघल जाते हो। डीए तो देना है पर इतनी जल्दी क्यों मंजूर कर देते हो। दरअसल, बैठक में कुछ मंत्रियों ने कर्मचारियों की हड़ताल का हवाला देते हुए कहा था कि इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इस पूरे संवाद का पटाक्षेप अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव की इस बात से हो गया कि आपने (सरकार) ही 2012 में निर्णय ले लिया था कि केंद्र के समान डीए दिया जाएगा।

कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि सात फीसदी डीए बढ़ाने से खजाने पर 1467 करोड़ रुपए का सालाना अतिरिक्त भार आएगा। स्थाई कर्मियों (दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी) को 1 सिंतबर 2016 से सात फीसदी डीए मिलेगा। दरअसल, स्थाईकर्मी योजना के लागू होने के समय इनका डीए 125 फीसदी था, जबकि कर्मचारियों का सात प्रतिशत बढ़ाकर 132 प्रतिशत हो गया था। अब इन्हें भी प्रदेश के अन्य कर्मचारियों की तरह 139 प्रतिशत डीए मिलेगा। डीए के एरियर का भुगतान नकद किया जाएगा।

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