
सीज कर दी जाएंगी गाड़ियां
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सुनील राय सक्सेना का कहना है कि परिवहन मुख्यालय से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। उन्होंने बताया, अब ऐसी गाड़ियों की जांच की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करते पकड़े जाने पर गाड़ी सीज की जाएगी। कार्रवाई के रूप में जुर्माना होगा। टैक्सी परमिट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गाड़ी छोड़ी जाएगी।
पहचान का आसान तरीका:
कौन सी गाड़ी निजी है और कौन सी टैक्सी परमिट पर चल रही है, इसकी पहचान करने के लिए एक आसान तरीका है। आरटीओ अधिकारियों के अनुसार, यदि गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर की प्लेट पीले रंग की है और उसका नंबर काले पर लिखा है तो टैक्सी परमिट की गाड़ी है। यदि ऐसा नहीं है, तो वह निजी गाड़ी है।
खुद की गाड़ी और वसूलते हैं किराया
जानकारी के मुताबिक अधिकांश विभागों में अफसर अपने रिश्ते-नातेदारों के नाम से वाहन खरीद लेते हैं। इसके बाद उसी विभाग में यह गाड़ी अटैच करा लेते हैं। मजे की बात यह है कि वे खुद उसी गाड़ी में सफर करते हैं और विभाग से मोटी रकम किराए के नाम पर लेते हैं। निजी वाहन में रजिस्टर्ड ऐसे वाहनों से परिवहन विभाग को टैक्स की चपत लगती है।