घुसपैठ के लिए रिटायर्ड सैनिकों के बच्चों का इस्तेमाल कर रहा है पाक

Bhopal Samachar
नई दिल्ली। क्या कोई सरकार इस हद तक गिर सकती है कि वो अपने रिटायर्ड सैनिकों के बच्चों को मोहरा बना दे। पाकिस्तान इन दिनों ऐसा ही कर रहा है। वो रिटायर्ड सैनिकों के बच्चों को आतंकवादी समूह में शामिल करके घुसपैठ की कोशिश कर रहा है। इस साजिश के तहत बच्चों को आगे रखा जाता है। यदि बच्चा सफलतापूर्वक सीमा पार कर लेता है तो उसके पीछे आतंकवादी भी आ जाते हैं। स्वभाविक है, भारतीय सेना मासूम बच्चों को निशाना नहीं बनाती। इसलिए वो मैसेंजर का काम भी आसानी से कर लेते हैं। एलओसी से सटे नौशेरा सेक्टर से सेना ने एक ऐसे ही बच्चे को हिरासत में लिया है। 

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने बताया, "भारतीय सेना के एक गश्ती दल ने नियंत्रण रेखा के पास 12 साल के एक बच्चे को शुक्रवार शाम हिरासत में लिया। वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से नियंत्रण रेखा के जरिये राजौरी जिले में आ गया था। मेहता ने बताया कि बच्चे की पहचान सेवानिवृत्त बलूच रेजीमेंट के जवान हुसैन मलिक के बेटे अशफाक अली चौहान के रूप में की गई है। वे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के भिम्बेर जिले में डुंगर पेल गांव के रहने वाले हैं।

उन्होंने बताया कि अशफाक अली चौहान को नियंत्रण रेखा के पास संदिग्ध तरीके से घूमते पाया गया। गश्ती दल द्वारा चुनौती दिए जाने पर बच्चे ने तुरंत आत्मसमर्पण कर दिया। रक्षा प्रवक्ता ने कहा, "आशंका है कि बच्चे को आतंकवादियों ने पाकिस्तानी सेना के साथ मिलीभगत से नियंत्रण रेखा के रास्ते घुसपैठ के रास्तों का पता लगाने के लिए भेजा था।" प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तानी बच्चे को सेना ने आगामी जांच के लिए पुलिस के हवाले कर दिया है।

क्या रिटायर्ड सैनिकों को ब्लैकमेल कर रहा है पाकिस्तान
यहां सवाल यह भी है कि क्या पाकिस्तान अपनी नापाक प्लानिंग को अंजाम देने के लिए अपने ही रिटायर्ड सैनिकों को ब्लैकमेल कर रहा है। एक रिटायर्ड कर्मचारी को सरकार की तरफ से पेंशन एवं कुछ सुविधाएं मिलतीं हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार रिटायर्ड सैनिकों की पेंशन बंद करके उन्हे मजबूर कर रही है कि वो अपने बच्चों को आतंकवादियों की मदद के लिए भेजें। क्योंकि इसमें बच्चों की जान का जोखिम नहीं है। मानवाधिकार संगठन भी ऐसे मामलों में पाकिस्तान का ही साथ देंगे। 
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