
यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र सिंह कुशवाहा की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता गौरव सिंह ने बहस की। याची का कहना था कि पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के लोगो में ऊँ हिंदू धर्म का मंत्र है। जैन, सिख व बौद्ध धर्म में इसे मंत्र माना जाता है। इस धार्मिक चिह्न को टॉयलेट प्रोडक्ट पर इस्तेमाल करने से धार्मिक भावना को ठेस पहुंचती है।
याची का कहना था कि ट्रेड मार्क एक्ट की धारा 9 के तहत धार्मिक भावना को आहत करने वाले चिन्हों का पंजीकरण नहीं होना चाहिए तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 295(ए) के तहत ऐसा करना अपराध है। कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों पर विचार करते हुए कहा कि इससे याची के किसी कानूनी अधिकार का हनन नहीं हो रहा। अत: याचिका बलहीन है।