भ्रष्टाचार में संलिप्त संविदा शिक्षकों का संविलियन नहीं होगा

भोपाल। यदि कोई संविदा शिक्षक 3 वर्ष की पर्रीवीक्षा अवधि के दौरान भ्रष्टाचार करता है और जांच में दोषी पाया जाता है तो उसका संविलियन नहीं होगा। इसी के तहत शहडोल जिले में शासकीय प्राथमिक विद्यालय देवगढ़ के संविदा शाला वर्ग-3 प्रीतमलाल डहरवाल का संविलियन नहीं​ किया गया। सीईओ जिला पंचायत के द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शासकीय प्राथमिक विद्यालय देवगढ़ के संविदा शाला वर्ग-3 प्रीतमलाल डहरवाल के वस्तु पूरक मूल्यांकन पत्रक में संकुल प्राचार्य विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गोहपारु से प्रतिकूल टीप प्राप्त हुई है। 

प्रकरण में पाया गया है कि संविदा शाला शिक्षक अपने द्वितीय वर्ष के कार्य काल में अपनी कार्यरत संस्था में अपनी पत्नी को नियम विरुद्ध अतिथि शिक्षक के रूप में रखने का दोषी पाया गया। इतना ही नहीं संविदा में ही आदिवासी बालक छात्रावास चुहिरी मे शिष्यावृत्ति राशि गबन करने एवं रहवासी छात्रों की दस प्रतिशत शिष्यावृत्ति संबंधित छात्रों के खाते में नहीं डालकर अन्य व्यक्ति के खाते में डालने का सुनियोजित षड़यंत्र करने का दोषी भी पाया गया। इसके बाद संविदा समय पूर्व समाप्त करने की कार्रवाई की गई जिस पर कमिश्नर के यहां से स्थगन मिल गया।

संकुल प्राचार्य एवं सीईओ जनपद के मूल्यांकन प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि प्रीतमलाल डहरवाल द्वारा संस्था में विद्यार्थियों को पढ़ाने में कभी रुचि नहीं ली गई और संस्था से प्रायः अनुपस्थित रहे। अपनी अनुपस्थिति को छिपाने के लिए इनके द्वारा कूट रचना कर संस्था की पृथक उपस्थिति पंजी तैयार की गई। संस्था की उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर नहीं किये गए। संविदा अवधि में प्रीतमलाल डहरवाल के द्वारा की गई गंभीर आर्थिक अनियमितता कर्तव्य में गंभीर लापरवाही एवं स्वेच्छा पूर्ण आचरण करने के कारण न केवल इन्हें कई बार नोटिस जारी हुये बल्कि अनुशासनात्मक कार्रवाई भी निरंतर की गई। आर्थिक अनियमितता एवं अपराधिक षड़यंत्र करने के कारण कलेक्टर द्वारा प्रीतमलाल डहरवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के भी निर्देश जारी हैं। इन सब रिकार्डो को देखते हुए अब इनकी संविदा अवधि में वृद्धि नहीं हो पाएगी, क्योंकि समिति ने इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है। अपने बचाव के लिए संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 ने काफी प्रयास किया, लेकिन दस्तावेजों में प्रमाणित तथ्यों के आधार पर उसे अयोग्य करार दिया गया।

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