वैवाहिक जीवन मे कष्ट और कारण | ASTRO

विवाह संस्कार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार के द्वारा ही मानव जीवन की पूर्णता का अहसास होता है। विवाह के बाद ही आदमी को जिम्मेदारी, तालमेल, धैर्य जैसे महान सदगुणों का परिचय देना पड़ता है। यूं कहे की प्रपंच रूपी समुद्र मे तैरना ही विवाह होता है।

कुंडली और विवाह
पत्रिका के सातवें भाव से विवाह के विषय मे जानकारी ली जाती है। कुंडली का सातवां भाव जीवनसाथी, लिंग आपका दैनिक व्यापार का होता है। प्रपंच के मालिक तथा समस्त माया के अधिकारी शुक्र ग्रह इस भाव के स्वामी होते है जिनका नंबर 7(तुला)होता है। पार्टनरशिप तथा सम्बन्ध नरम स्वभाव से ही चलते है इसीलिए इस भाव मे गरम स्वभाव के ग्रह अच्छे परिणाम नही देते है इस भाव मे शुक्र,बुध,चंद्र,गुरु जैसे ग्रह अच्छे परिणाम देते है।

गुरु और शुक्र का विशेषप्रभाव
वैवाहिक जीवन के दो प्रमुख कारक ग्रह गुरु और शुक्र है स्त्री के अच्छे वैवाहिक जीवन के लिये उसकी कुंडली मे गुरु का अच्छा होना मतलब स्त्री का ज्ञानवान होना ज़रूरी है अपने धर्म के प्रति आदर तथा अपने बडो के प्रति सम्मान व उनका आशीर्वाद होना शुभ वैवाहिक जीवन के लिये अत्यंत ज़रूरी है वही पुरुष जातक का यदि शुक्र अच्छा है तो जातक को सुंदर सुशील तथा समझदार पत्नी मिलेगी।

गुरु व शुक्र शुभ कैसे हो
परिवार व समाज मे वरिष्ठ लोगों का सम्मान करने तथा उनसे आशीर्वाद लेने से आपका गुरु शुभ होता है।गाय की सेवा करने से शुक्र ग्रह शुभ होता है।
पंडित चन्द्रशेखर नेमा"हिमांशु"
9893280184,7000460931
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
फेसबुक पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!