
मध्यप्रदेश सरकार केन्द्र सरकार जिस दर पर मंहगाई भत्ता देती है उसी दर पर प्रदेश के शासकीय सेवकों को मंहगाई भत्ता देती है। वित विभाग के अधिकारियों ने केन्द्र सरकार के आदेश को ताक पर रखकर अपनी मर्जी से प्रदेश के शासकीय सेवकों के मंहगाई भत्ते में 4 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। मंत्रालय में यह चर्चा जौरो पर है कि अब राज्य सरकार अपनी इस चूक को सुधार कर मंहगाई भत्ते की दर में संशोधन कर 7 प्रतिशत के स्थान पर 4 प्रतिशत करने जा रही है।
मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा ने कहा कि सम्भवतः यह प्रथम अवसर है जब सरकार मंहागई भते में कमी कर रही है। उन्होने आरोप लगाया कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी किस तरह कार्य कर रही है यह उसका बड़ा उदाहरण है कि 4 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत का प्रस्ताव मंत्री परिषद को गया और वहां से अनुमोदित हो कर आदेश भी जारी हो गये पर किसी भी अधिकारी ने यह गलती को नही पकड़ा। यह एक बड़ी चूक है और इसके लिये दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही होनी चाहिये। यदि ऐसा नही हुआ तो सातवा वेतनमान निर्धारण संबंधी आदेश में भी बडी चूक हो सकती है।