45 छात्रों ने किया था कामवाली बाई का गैंगरेप, पुलिस ने उल्टी जांच कर डाली

सागर। यहां पुलिस पर गैंगरेप पीड़िता के खिलाफ जांच करने का मामला सामने आया है। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश ममता जैन ने महिला थाने की पुलिस काे जांच में लापरवाही का दोषी पाते हुए फैसले की कॉपी एसपी सचिन अतुलकर को भेजकर जिम्मेदार पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। पीड़िता का आरोप था कि उसके साथ 45 छात्रों ने गैंगरेप किया है परंतु पुलिस ने एफआईआर में केवल 18 आरोपियों के नाम लिखे। इसके अलावा पुलिस ने जांच कुछ इस तरह से की ताकि सभी आरोपी दोषमुक्त हो जाएं। 

कोर्ट में हुए बयान में टीआई और मामले की इंवेस्टीगेशन आॅफीसर उमा आर्य ने इस बात से इंकार किया कि फरियादी उनके पास 20 से 25 लोगों की शिकायत लेकर आई थी। उन्होंने कहा था कि प्रकरण 1 या 2 आरोपियों के खिलाफ कायम होगा। इधर पीड़िता ने आवेदन दिया है कि थाने में टीआई के पति नवल आर्य ने उसके पति को चांटे मारे जिससे वह डर गई। इसे टीआई ने गलत बताया है।

पुलिस ने अभियुक्ताें की शिनाख्त तक नहीं कराई
कोर्ट ने फैसले में लिखा कि इस आधार पर जांच सही होना प्रमाणित नहीं होती। मामला फरियादी को नशीला पदार्थ खिलाने के बाद दुष्कर्म या वीडियो बनाने का नहीं है। बल्कि पुलिस ने इस संबंध में कोई भी साक्ष्य जुटाने की कोशिश तक नहीं की। इंवेस्टीगेशन आॅफीसर ने परीक्षण में स्वीकार किया है कि विवेचना के दौरान अभियुक्ताें की शिनाख्त पीड़ित से नहीं कराई गई। आश्चर्य की बात है कि नामजद रिपोर्ट के बाद भी वीडियो में अभियुक्तों में से कोई है या नहीं इसकी जांच नहीं कराई गई। बल्कि महिला एक ही है या नहीं की जांच की गई। ऐसे गंभीर मामले में जांच सही ढंग से नहीं होना अन्वेषण एजेंसी की लापरवाही दर्शाता है। इसका परिणाम मामला साबित नहीं होना और अभियुक्त बरी होना होता है। पीड़ित व्यक्ति को न्याय और समाज में लोगों को निर्भीक ढंग से जीने की स्वतंत्रता के लिए जरूरी है कि जांच गंभीरता से की जाए। नहीं तो समाज का कानून व्यवस्था से विश्वास उठ जाएगा। इन स्थितियों में न्यायोचित होगा कि निर्णय की कॉपी कार्रवाई के लिए एसपी को भेजी जाए।

यह है मामला
सागर निवासी विवाहित महिला मनोरमा कॉलोनी में रहने वाले डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी बालाघाट निवासी प्रमोद उर्फ अनुज पिता रोशन कुमार गुप्ता, जबलपुर के अमित पिता गौरीशंकर घनघोरिया तथा बेगमगंज के वरुण पिता विमल यादव के यहां खाना बनाने का काम करती थी। महिला ने 30 नवंबर 2012 को रात 8 बजे इन आरोपियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म और उसका अश्लील वीडियो वायरल करने की शिकायत की थी। इसकी रिपोर्ट वीडियो वायरल होने के तीन साल बाद 27 अगस्त 2015 को महिला थाने में दर्ज कराई गई थी।
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