
सीएसपी एमपी प्रजापति ने बताया कि दुर्ग निवासी गौरव देवांगन और गुंजन देवांगन ने SHREE SAIRAM VENTURES PVT LTD खोली। उन्होंने जगह-जगह शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमेट अकाउंट खोलने और ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग करने के लिए लोगों से रकम जमा कराई। केंट क्षेत्र में रहने वाले कुलदीप सेन से 30 लाख और मनीष से 2 लाख 80 हजार रुपए जमा कराए। इस मामले में कुलदीप सेन ने दुर्ग में एफआईआर दर्ज कराई। वहीं मनीष ने केंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई। इस मामले में पीड़ितों ने जब जानकारी ली कि SHREE SAIRAM VENTURES के संचालकों ने कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। केंट पुलिस को जब यह जानकारी मिली कि दुर्ग पुलिस ने गौरव और गुंजन को गिरफ्तार कर लिया है तो उन्हें प्रोडक्शन वारंट पर जबलपुर लाया गया।
2009 से चल रहा था ठगी का खेल
गौरव देवांगन और गुंजन देवांगन ने SHREE SAIRAM VENTURES PVT LTD की शुरूआत 2009 में की थी। दोनों आरोपी कंपनी में डायरेक्टर की हैसियत से दर्ज किए गए। जालसाजों ने सरकार को सूचना दी कि यह कंपनी civil engineering का काम करती है जबकि कंपनी संचालकों ने लोगों को मोटे लाभ का लालच देकर शेयर में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। सारा खेल शुरू से ही फर्जीवाड़े के साथ चल रहा था। कंपनी ने लोगों से पैसे तो लिए लेकिन शेयर बाजार में निवेश नहीं किए। इस तरह कंपनी संचालकों ने करीब 200 करोड़ रुपए बाजार से जुटा लिए और फरार हो गए।
पहले भी कर चुके हैं ठगी का कारोबार
किड्जी और लेट्स प्ले स्कूल के संचालक दोनों सगे भाइयों गौरव और गुंजन देवांगन को 14 करोड़ रुपए की ठगी मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। तत्समय वे ई ट्रेडिंग एकेडमी व ई जोर्बास प्रोग्राम के नाम से फर्जी शेयर ट्रेडिंग कंपनी चलाते थे। दस फीसदी ब्याज देने का लालच दिखाकर लोगों से पैसा जमा करवाते थे। वे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों राज्यों में अपनी फर्जी कंपनी संचालित कर रहे थे। यहां से छूटकर आने के बाद उन्होंने नई कंपनी बना ली।
इंदौर में भी दर्ज है FIR
दोनों जालसाजों के खिलाफ मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में भी एफआईआर दर्ज है। यहां 50 से ज्यादा लोगोें के साथ ठगी का मामला दर्ज किया गया है। पीड़ित मनीष पिंडारी निवासी नर्मदा कालोनी, स्कीम नंबर 54, इंदौर ने भोपाल समाचार डॉट कॉम को बताया कि 30 जुलाई 2015 को उन्होंने रजिस्ट्रेशन नंबर 241 पर कुल 4 लाख रुपए जमा कराए। कंपनी की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि तीन महीने बाद मोटा लाभ शुरू हो जाएगा। निर्धारित तारीख को कंपनी ने चैक भी दिया लेकिन वो बाउंस हो गया। उसके बाद कंपनी ने फोन उठाना बंद कर दिया और लोकल आॅफिस पर ताला लगाकार कर्मचारी भाग गए। ब्रांच मैनेजर मुकेश श्रीवास्तव भी फरार हो गया जो अब तक फरार है। माना जा रहा है कि यह मामला 200 करोड़ से कहीं अधिक का जायगा।