
जातिगत पंचायत के तुगलकी फरमान के बाद मौजी औऱ उसके परिवार की मुसीबतें शुरू हुई।सामाजिक बहिष्कार के कारण मौजी का हुक्का पानी गांव से बंद हो गया। मजबूरन मौजी ओर उसके परिवार को पिछले 7 माह से खेत पर बने मकान में अकेले रह रहा है। इस फरमान से निजात पाने के लिये एक लाख रुपये का जुर्माना जातिगत पंचायत को देना होगा। तब इस परिवार को समाज मे शामिल किया जावे।
जातिगत पंचायत के तुगलकी फरमान के पीछे दो सगे भाइयों का पारिवारिक विवाद है। मौजी का आरोप है, कि उसके सगे भाई ने उसकी बेटी से ससुराल से बेटी के चरित्र पर लांछन लगाया, जिसके चलते उसकी बेटी को ससुराल वालों से मायके भेज दिया। इस आरोप की सच्चाई साबित करने के लिये मौजी के भाई धनी राम ने पंचायत बुलाई थी जिसमे मौजी नही आया। तब पंचायत में मौजी के खिलाफ एक तरफ फरमान सुना दिया।
पीडि़त मौजी का आरोप है, कि उसे पंचायत लगने की सूचना नही दी गई और उसके भाई धनी राम ने षड्यंत्र के तहत, सरपंच पति के साथ मिलकर गाँव से बाहर करवा दिया। अब खेत मे रात को आकार समाज के लोग धमकाते है। गांव के अन्य समाज के लोग मौजी के साथ है, मगर पंचायत के फरमान के कारण अन्य लोग खुलकर साथ नही देते। आजाद भारत मे आज भी सामाजिक व्यवस्था के समानांतर जातिगत सामाजिक व्यवस्था चलती है,जिसके फैसले कानूनी फैसलों से ऊपर लोगआज भी स्वीकारते है। ऐसे में अनर्गल तुगलकी फरमान के चलते कई परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है।