पंचायत ने दलित किसान का 12 साल के लिए हुक्का पानी बंद किया

राम कुमार/छतरपुर। जनसुनवाई में आज एक अजीब मामला सामने आया। एक दलित परिवार को उसी के समाज ने 12 साल के लिए बेदखल कर दिया। पीड़ित ने कलेक्टर ने न्याय मांगते हुए ऐसी पंचायत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिले मुख्यालय से महज 30 किलामीटर दूर स्थित ईशानगर थाना इलाके का गांव बंधी कला जहां 08 सितंबर 2016 को अहिरवार समाज की जातिगत पंचायत बुलाई गई। जिसमें बंधी-काल सहित आस-पास के अहिरवार समाज के लोगों को बुलाया गया। जिसमें बंधी-कला की महिला सरपंच श्रीमती कोमल अहिरवार के पति भगीरथ अहिरवार सरपंच प्रतिनिधि की हैसियत से मौजूद रहे। इस जातिगत पंचायत में मौजी लाल के ना आने पर पंचायत ने एक पंचनामा बनाकर लिखित में अपना तुगलकी फरमान जारी कर दिया, जिसमे साफ तौर पर लिखा गया कि पंचो के बुलाने पर मौजी नही आया, इस कारण 12 बरस तक समाज से दूर रहेगा। जो इसका साथ देगा वह भी समाज के दण्ड का भागीदार होगा। 

जातिगत पंचायत के तुगलकी फरमान के बाद मौजी औऱ उसके परिवार की मुसीबतें शुरू हुई।सामाजिक बहिष्कार के कारण मौजी का हुक्का पानी गांव से बंद हो गया। मजबूरन मौजी ओर उसके परिवार को पिछले 7 माह से खेत पर बने मकान में अकेले रह रहा है। इस फरमान से निजात पाने के लिये एक लाख रुपये का जुर्माना जातिगत पंचायत को देना होगा। तब इस परिवार को समाज मे शामिल किया जावे। 

जातिगत पंचायत के तुगलकी फरमान के पीछे दो सगे भाइयों का पारिवारिक विवाद है। मौजी का आरोप है, कि उसके सगे भाई ने उसकी बेटी से ससुराल से बेटी के चरित्र पर लांछन लगाया, जिसके चलते उसकी बेटी को ससुराल वालों से मायके भेज दिया। इस आरोप की सच्चाई साबित करने के लिये मौजी के भाई धनी राम ने पंचायत बुलाई थी जिसमे मौजी नही आया। तब पंचायत में मौजी के खिलाफ एक तरफ फरमान सुना दिया। 

पीडि़त मौजी का आरोप है, कि उसे पंचायत लगने की सूचना नही दी गई और उसके भाई धनी राम ने षड्यंत्र के तहत, सरपंच पति के साथ मिलकर गाँव से बाहर करवा दिया। अब खेत मे रात को आकार समाज के लोग धमकाते है। गांव के अन्य समाज के लोग मौजी के साथ है, मगर पंचायत के फरमान के कारण अन्य लोग खुलकर साथ नही देते। आजाद भारत मे आज भी सामाजिक व्यवस्था के समानांतर जातिगत सामाजिक व्यवस्था चलती है,जिसके फैसले कानूनी फैसलों से ऊपर लोगआज भी स्वीकारते है। ऐसे में अनर्गल तुगलकी फरमान के चलते कई परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है।

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