
हम सरकारें चुनते हैं, विकास और देश में समरसता तथा शांति बनाये रखने के लिये लेकिन दल विशेष सत्ता के लिये तुष्टिकरण की नीतियों पर चलते हैं। वर्तमान सरकार भी अनेक वादों और देश में उत्पन्न की गई अनगिनत अपेक्षाओं का लबादा ओढ़कर ऐतिहासिक जीत से सत्ता में आई थी। आप इस के कट्टर समर्थक अथवा कठोर आलोचक हो सकते हैं। अतः देश में व्याप्त वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा स्वयं अपने अपने मान से करें लेकिन "पदोन्नति में आरक्षण" का जो जिन्न बोतल से बाहर निकाला जा रहा है वह बहुसंख्यक वर्ग का कितना नुकसान करेगा इस संबंध में भी पूरी गंभीरता से विचार करें।
सपाक्स अपने सीमित संसाधनों से मुखर विरोध इस मुद्दे पर कर रहा है. हम सभी की भावनाओं और सहयोग से आज एक मुकाम पर हैं जहाँ से एक सामयिक संदेश सरकार को दे सकते हैं. अन्य प्रदेशों में भी ऐसे संगठन कार्य कर रहे हैं, जिनसे समन्वय कर विरोध को देशव्यापी बनाना है. किंतु हमारी यह भावनायें आज भी धरातल पर आने से डरती हैं. 11-मई को "काला दिवस" मनाने खुलकर सामने आयें. आज भी कई जिलों में उदासीनता का वातावरण है. स्वयं भोपाल जिला भी अछूता नहीँ है इससे. हम हमेशा चाहते हैं शहादत हेतु भगतसिंह पडोसी के घर पैदा हो.