11 मई को काला दिवस मनाऐगी सपाक्स

Bhopal Samachar
भोपाल। सन 2012 में राज्यसभा में पारित 117वां संविधान संशोधन, लोकसभा में वर्षों अटका और अंततः काल की गति को प्राप्त हुआ। तब के महान्यायवादी श्री वाहनबती ने काँग्रेस को सलाह दी थी कि यह संशोधन सर्वोच्च न्यायालय की समीक्षा में नहीँ ठहर पायेगा। यह संशोधन एक सौदेबाजी के तहत तत्कालीन सरकार लाई थी जिसे तब बीएसपी के समर्थन की दरकार थी अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर। अर्थात इसका किसी वर्ग के हितलाभ से कोई लेना देना नहीं था।

हम सरकारें चुनते हैं, विकास और देश में समरसता तथा शांति बनाये रखने के लिये लेकिन दल विशेष सत्ता के लिये तुष्टिकरण की नीतियों पर चलते हैं। वर्तमान सरकार भी अनेक वादों और देश में उत्पन्न की गई अनगिनत अपेक्षाओं का लबादा ओढ़कर ऐतिहासिक जीत से सत्ता में आई थी। आप इस के कट्टर समर्थक अथवा कठोर आलोचक हो सकते हैं। अतः देश में व्याप्त वर्तमान परिस्थितियों की समीक्षा स्वयं अपने अपने मान से करें लेकिन "पदोन्नति में आरक्षण" का जो जिन्न बोतल से बाहर निकाला जा रहा है वह बहुसंख्यक वर्ग का कितना नुकसान करेगा इस संबंध में भी पूरी गंभीरता से विचार करें।

सपाक्स अपने सीमित संसाधनों से मुखर विरोध इस मुद्दे पर कर रहा है. हम सभी की भावनाओं और सहयोग से आज एक मुकाम पर हैं जहाँ से एक सामयिक संदेश सरकार को दे सकते हैं. अन्य प्रदेशों में भी ऐसे संगठन कार्य कर रहे हैं, जिनसे समन्वय कर विरोध को देशव्यापी बनाना है. किंतु हमारी यह भावनायें आज भी धरातल पर आने से डरती हैं. 11-मई को "काला दिवस" मनाने खुलकर सामने आयें. आज भी कई जिलों में उदासीनता का वातावरण है. स्वयं भोपाल जिला भी अछूता नहीँ है इससे. हम हमेशा चाहते हैं शहादत हेतु भगतसिंह पडोसी के घर पैदा हो.
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