
इस वर्ष हम इस स्थिति को खत्म कर रहे हैं। साथ ही शिक्षकों के ट्रांसफर का धंधा भी खत्म हो जाएगा। ग्रामीण, अर्ध शहरी और शहरी इलाकों में शिक्षक को 10-10 साल की पोस्टिंग मिलेगी।’इस दौरान शिक्षक जरूरत के आधार पर ट्रांसफर के लिए आवेदन दे सकते हैं।
यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षकों की तैनाती की ऐसी नीति का प्रस्ताव किया है। पिछले हफ्ते मंत्रलय में स्कूली शिक्षा और साक्षरता सचिव अनिल स्वरूप ने एक ट्वीट कर लोगों की यह राय जरूर मांगी थी कि ‘क्या सरकारी स्कूलों में भी शिक्षकों की नियुक्ति एक खास स्कूल के लिए होनी चाहिए, न कि एक जिले या राज्य के लिए? क्या उनका ट्रांसफर सिर्फ प्रमोशन के साथ ही होना चाहिए?’ इसके जवाब में 79 फीसद लोग प्रस्ताव से सहमति जता चुके हैं।
मंत्रलय ने कुछ समय पहले बताया था कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की 18 फीसद और माध्यमिक विद्यालयों में 15 फीसद कमी है। लेकिन, इस लिहाज से कुछ राज्यों की स्थिति बहुत बुरी है। उप्र, झारखंड और बिहार में यह स्थिति सबसे खराब है। कई पिछड़े जिलों में 50 फीसद से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों के ट्रांसफर की ऑनलाइन और प्वाइंट आधारित की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में चल रही है।