पूर्वोत्तर में सुधार करें तो सारे देश में चमत्कारी विकास होगा | VASTU & ASTRO

वास्तु मे दिशाओं का विशेष महत्व है। दिशा के अनुकुल निवास से जीवन सुखमय हो जाता है।वास्तु मे ईशान कोण को ईश्वर का निवास माना गय़ा है। ई दिशा मे भगवान का मंदिर होना चाहिये। शिक्षा पूजा साधना के लिये यह स्थान अत्यंत उपयुक्त होता है। यदि इस स्थान मे पानी का स्त्रोत हो तो क्या कहने।

भारत का ईशान पूर्वोतर
यदि भारत के नक्शे को देखा जाय तो भारत का ईशान कोण पूर्वोतर ही है इस ईशान कोण मे अरुणाचल, असम, मणिपुर, त्रिपुरा जैसे राज्य है। ब्रम्ह्पुत्र नदी ने ईशान कोण को हरियाली और समृद्धि से परिपूर्ण कर दिया है। राजस्थान से गये मारवाड़ के लोगों ने यहां सनातन धर्म की परम्परा को आगे बडाकर ईशान कोण को शुद्ध करने मे अच्छी भूमिका निभाई है। 

यदि भारत सरकार कश्मीर के अलावा इस दिशा मे धर्म शिक्षा और संस्कॄति की वृद्धि के लिये कार्य करे तो निश्चित रूप से भारत के ईशान कोण का अच्छा प्रभाव पूरे भारत मे मिलेगा। लेकिन सनातन धर्म के प्रति उदासीन रवैया तथा मुस्लिम धर्म के प्रति वोट बेंक के कारण यह क्षेत्र विकास के मामले मे उपेक्षित है। वरना ब्रम्हा मुहूर्त का ये क्षेत्र वास्तव मे ईश्वर का निवास है।
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