TRANSFER के लिए डेढ़ हजार अध्यापकों ने बनवाए फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट | ADHYAPAK SAMACHAR

Bhopal Samachar
मनोज तिवारी/भोपाल। प्रदेश में डेढ़ हजार से ज्यादा पुरुष अध्यापकों ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाकर अपने घर के नजदीक या गृह जिले में तबादले करा लिए। ये गड़बड़ी 2011 से 2015 के बीच हुई। इनमें ज्यादातर मामले ग्वालियर और चंबल संभाग के हैं। ये अध्यापक भर्ती के समय पूरी तरह स्वस्थ थे। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को इस गड़बड़ी की जानकारी भी है, लेकिन वह कार्रवाई करने के बजाय अध्यापकों के हिमायती बने हुए हैं। नियमों में पुरुष अध्यापकों के तबादले का प्रावधान नहीं है जिसके चलते नियुक्ति के सालों बाद भी अध्यापकों के घर (अपने गांव या ब्लाक) लौटने के रास्ते नहीं बने,तो उन्होंने नियमों का इस तरह से इस्तेमाल किया कि अफसरों को तबादला करने में दिक्कत नहीं हुई।

अध्यापक जिला मेडिकल बोर्ड से 40 से 70 फीसदी दिव्यांग होने का सर्टिफिकेट बनवा लाए और तबादले करा लिए। मामले में नियमों का खुला दुरुपयोग हुआ है, लेकिन अफसरों की सहानुभूति अध्यापकों के साथ है। वे कहते हैं कि लंबे समय तबादले नहीं होंगे,तो कोई क्या करेगा।

जांच से बच रहे अफसर 
पूरा मामला अफसरों के सामने है, लेकिन तब स्थापना शाखा देखने वाले अफसरों को बचाने के लिए जांच नहीं की जा रही है। दरअसल,वह गलत तरीके से तबादले करने के लिए सीधेतौर पर जिम्मेदार हैं। वे जानते थे कि भर्ती के समय पूरी तरह स्वस्थ रहे ये अध्यापक गलत सर्टिफिकेट लेकर आए हैं। फिर भी सर्टिफिकेट की जांच नहीं कराई गई ।

इसलिए गलत नहीं मानते अफसर 
स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर दिव्यांग सर्टिफिकेट के आधार पर अध्यापकों के तबादलों को गलत नहीं मानते हैं। अफसर कहते हैं कि किसी को आंख से दिखना बंद हो गया या उसे मानसिक तकलीफ हो गई है, तो ये हम कैसे जान सकते हैं। डॉक्टर ने सर्टिफिकेट दिया है, यदि वह गलत है, तो डॉक्टर जिम्मेदार हैं। हमने तो सर्टिफिकेट के आधार पर तबादला किया है।

ये हैं नियम
वर्तमान में महिला, दिव्यांग और गंभीर बीमारी से पीड़ित अध्यापकों के तबादले का नियम है। वर्ष 1994 में बतौर गुरुजी भर्ती हुए ये कर्मचारी आज भी तबादला नीति का इंतजार कर रहे हैं। वैसे सरकार ने नीति बना ली है। फरवरी में कैबिनेट ने नीति को पारित भी कर दिया और विभाग के मंत्री की घोषणा के मुताबिक अप्रैल से तबादला प्रक्रिया शुरू हो जानी थी,जो नहीं हुई है।

इनका कहना है
मुझे इस गड़बड़ी का अभी पता चला है। हम पूरे मामले को देखेंगे और जरूरत पड़ी, तो जांच कराएंगे। 
नीरज दुबे, 
आयुक्त, लोक शिक्षण
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!