
न्यायमूर्ति डीबी भोसले और यशवंत वर्मा ने कहा, कि संविधान के अनुसूचित जाति आर्डर 1950 में किसी भी प्रकार का संशोधन अनुच्छेद 341 के तहत विधायन के जरिए ही किया जा सकता है। बता दें, कि 18 जनवरी के शासनादेश में प्रदेश सरकार ने कुम्हार जाति को अनुसूचित मानते हुए उनको अनुसूचित जातियों को मिलने वाली सभी सुविधाएँ देने के निर्देश दिए थे।
वहीं शासनादेश को ये कहते हुए चुनौती दी गयी कि राज्य सरकार किसी भी जाति को अनुसूचित जाति में न तो शामिल कर सकती है और न ही निकाल सकती है। इसलिए सरकार का आदेश वैधानिक नहीं है।