
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, आयकर विभाग की जांच इस फर्म की ओर से नोटबंदी के दौरान 17 करोड़ रुपए (बंद किए गए 500 और 1,000 के नोटों की शक्ल में) की रकम जमा कराने से जुड़ी है। यह फर्म बेशकीमती पशमीना शॉल के कारोबार में जाना-पहचाना नाम है। इसके दिल्ली के करोल बाग, खान मार्केट और साउथ एक्सटेंशन में शोरूम हैं। कंपनी के रिकॉर्ड के मुताबिक, इसके तीन निदेशकों में- आहूजा के बेटे भुवन और करन तथा बहू निधि शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, आयकर अधिकारियों ने बीती 22 फरवरी को इस कंपनी के ठिकानों पर छापा मारा था। इसके बाद यह फर्म 17 करोड़ रुपए में से पिछले महीने छह करोड़ रुपए पीएमजीकेवाई (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना) तहत घोषित करने को राजी हुई थी। इस योजना के तहत कोई भी अपनी अघोषित आय घोषित कर सकता था। इसके एवज में उससे कर, जुर्माना, सेस आदि मिलाकर घोषित रकम का करीब 50 फीसदी हिस्सा जमा करा लिया जाता था। इसके अलावा कुल घोषित आय में से 25 फीसदी रकम पीएमजीकेवाई में चार साल के लिए जमा करानी होती थी। इस रकम पर कोई ब्याज न दिए जाने का प्रावधान था। हालांकि इसे चार साल बाद संबंधित व्यक्ति फिर इस्तेमाल कर सकता था। इस योजना की अंतिम तारीख 31 मार्च को निकल चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक, पीएमजीकेवाई की अंतिम तारीख निकलने के बाद अब फिर संदिग्ध लोगों/फर्मों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई है। इस जांच के दायरे में आहूजासंस भी है क्योंकि इसके कई लॉकरों, खातों के विवरण आदि को खंगाला जाना बाकी है। इस बाबत अखबार ने कंपनी के निदेशकों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आयकर अधिकारियों ने भी कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है।