
भोपाल की अरेरा कॉलोनी में रहने वाले मैनिट के प्रोफेसर लवित रावतानी की ओर से वर्ष 2014 में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में उन्होंने मैनिट में वर्ष 2005 में हुए प्रोफेसरों के चयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। आरोप है कि चयन प्रक्रिया में अयोग्य लोगों का चयन हुआ, जिसकी शिकायत 9 दिसंबर 2013 को करने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई थी।
मामले पर 16 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान मैनिट की ओर से अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया था कि याचिकाकर्ता द्वारा भेजे गए एक लिफाफे के ऊपर कुछ जजों के नाम लिखकर उन्हें भ्रष्ट बता दिया गया। लिफाफे की इबारत का अवलोकन करने के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह अपने इस रवैये पर क्षमा मांगे, इसके बाद भी प्रोफेसर लवित रावतानी ने क्षमा याचना नहीं की। तब उसके खिलाफ अवमानना में शोकॉज नोटिस जारी किया गया था। बीते 2 मार्च को सुनवाई के बाद जस्टिस झा की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने आरोपी प्रोफेसर को अवमानना में दोषी पाया। गुरुवार को सुनवाई के बाद युगलपीठ ने आरोपी लवित रावतानी को सजा सुनाई।