
मैं पापा की गुलगुल हूं.
मैं कौन हूं? यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मैं कुछ हफ्ते पहले तक हंसमुख अंदाज में बिना किसी हिचकिचाहट के दे सकती थी, पर अब ऐसा नहीं कर सकती. क्या मैं वो हूं जो ट्रोल्स सोचते हैं? क्या मैं वैसी हूं, जैसा मीडिया में बताया जाता है? क्या मैं वो हूं जो लोग सोचते हैं? नहीं, मैं इनमें से कोई नहीं हो सकती. जिस लड़की को आपने टीवी पर फ्लैश होते देखा होगा. निश्चित तौर पर वह मुझ सी दिखती है. विचारों की उत्तेजना जो उसके चेहरे पर चमकती है, निश्चित तौर पर उनमें मेरी झलक है.
मैं ब्रेकिंग न्यूज की सुर्खियों वाली नहीं हूं
वह उग्र है, मैं सहमत हूं, पर मैं ब्रेकिंग न्यूज की सुर्खियों वाली नहीं हूं. शहीद की बेटी... मैं अपने पिता की बेटी हूं. मैं पापा की गुलगुल हूं. मैं उनकी गुड़िया हूं. मैं दो साल की वह कलाकार हूं, जो शब्द तो नहीं समझती, पर उन तीलियों की आकृतियां समझती है जो उसके पिता उसके लिए बनाया करते थे.
गौर हो कि गुरमेहर लेडी श्रीराम कॉलेज में अंग्रेजी साहित्य की छात्रा हैं. वे मूल रूप से लुधियाना की रहने वाली हैं. उनके पिता कैप्टन मंदीप सिंह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के कैम्प पर 1999 में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. उस समय गुरमेहर की उम्र सिर्फ 2 साल की थीं.
28 अप्रैल को पिछले साल एक वीडियो किया था अपलोड
दरअसल पिछले साल 28 अप्रैल को गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर चार मिनट का वीडियो अपलोड किया था. इसमें उन्होंने एक-एक कर 36 पोस्टर दिखाए थे. लेकिन पोस्टर नंबर 13 वायरल हो गया. इसमें उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है.