
ग्रामीण इलाकों में लोग लंबे समय तक अपने जेब में नोट रखे रहते हैं। इन कपड़ों पर पानी पड़ने के बाद कुछ नोट रंग छोड़ देते हैं। ग्रामीण ये नोट लेकर बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्होंने बदलने से इंकार कर देते हैं। ऐसी सैंकड़ों शिकायतें हर रोज पत्रकारों को मिल रहीं हैं। बैंक अधिकारियों ने जब इसकी वजह पूछी तो बताया गया कि इन नोटों को लेकर कोई गाइडलाइन ही नहीं है।
हर नोट के लिए नई गाइडलाइन जारी नहीं होती
विशेषज्ञ कहते हैं कि आरबीआई की ओर से जारी भारतीय मुद्रा बदलने को लेकर बैंकों के पास पुरानी गाइडलाइन पहले से है। इसके तहत ग्राहक के मैले कुचले और पुराने नोट बदले जाते हैं। यह काम आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत किए जाते हैं।
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नए नोट को बदलने के लिए नई पॉलिसी बनाने की बात बेतुकी है। बैंकों के पास सालों पुरानी गाइडलाइन है। वे उसके तहत नोट बदलें। जो कर्मचारी ग्राहकों को इस तरह से लौटा रहे हैं। उनके खिलाफ बैंक अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।
अल्पना किल्लावाला, पीआरओ, आरबीआई
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कई इलाकों से परेशान लोग हमारे पास आए थे। उनके रंग उड़े नोट बैंक नहीं बदल रहे थे। उनसे कहा कि इन नोटों को बदलने के कोई निर्देश नहीं है। यह मामला पंजाब नेशनल बैंक का है।
अरुणेश्वर सिहंदेव, सामाजिक कार्यकर्ता