
एयरपोर्ट का संचालन करने वाली मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने लिस्ट को DGCA के पास बढ़ाया था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट ने ऐडवोकेट यशवंत शेनॉय की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इमारतों को ढहाने या उनकी ऊंचाई कम करने का आदेश दिया। शेनॉय का तर्क था कि उड़ानों के लिए खतरा होने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया।
हाई कोर्ट की बेंच ने इसे गंभीर माना और कहा कि डीजीसीए को निश्चित तौर पर कार्रवाई करनी चाहिए। मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की तरफ से सीनियर ऐडवोकेट प्रवीण सामदानी ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2015-16 के सर्वे में कुल 317 'खतरनाक' इमारतों की पहचान की गई थी लेकिन डीजीसीए की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हाई कोर्ट ने फाइनल ऑर्डर पास करते हुए डीजीसीए को बाकी इमारतों पर 3 महीने के भीतर कार्रवाई का निर्देश दिया।
डीजीसीए की तरफ से कोर्ट कोर्ट में पेश हुए सीनियर ऐडवोकेट राजीव चाह्वाण ने कोर्ट को बताया कि आदेश के पालन के लिए यह समय बहुत ही कम है। इस पर बेंच ने कहा कि डीजीसीए को कम से कम प्रक्रिया तो शुरू ही कर देनी चाहिए।