चप्पलमार सांसद नाम में हेरफेर करके टिकट बुक करने की कोशिश कर रहे हैं

नई दिल्ली। शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने तीन बार मिलते-जुलते नामों से एयर इंडिया में टिकट बुक कराने की कोशिश की। अफसरों को चकमा देने के लिए पहले उन्होंने अपने असली नाम, दूसरी बार प्रोफेसर वीआर गायकवाड़ और तीसरी बार डॉक्टर गाईकवाड़ (स्पेलिंग बदलकर) के नाम से टिकट बुक करनी चाही, लेकिन एयलाइन्स की अलर्टनेस के चलते वह कामयाब नहीं हो सके।  बता दें कि सांसद पर एयरलाइन्स के 60 साल के ड्यूटी मैनेजर से मारपीट का आरोप है। इसके बाद एअर इंडिया समेत 6 एयरलाइन्स ने उन्हें नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया। सांसद के दो टिकट पहले ही कैंसल किए जा चुके हैं। फिलहाल, वो ट्रेन और कार से सफर कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एयरलाइन्स के सूत्रों ने बताया कि, ''कुछ दिन पहले शिवसेना नेता के एक स्टाफ मेंबर ने एअर इंडिया के कॉल सेंटर में फोन करके बुधवार के लिए मुंबई-दिल्ली आने वाली फ्लाइट (AI806) में सीट बुक कराने की कोशिश की। फोन करने वाले शख्स ने पैसेंजर का नाम रवींद्र गायकवाड़ बताया था। यह टिकट तुरंत ही कैंसल हो गई।

दूसरी बार हैदराबाद-दिल्ली आने वाली फ्लाइट (AI551) में एक सीट बुक कराई गई। इस दौरान पैसेंजर का नाम प्रोफेसर वीआर. गायकवाड़ बताया गया। एयरलाइन्स इस बार भी यही सलूक किया। टिकट कैंसल कर दी। अगले दिन उन्होंने नागपुर-मुंबई के रास्ते दिल्ली आने वाली फ्लाइट में टिकट बुक कराने के लिए सांसद के स्टाफ मेंबर ने एक ट्रैवल एजेंट से कॉन्टैक्ट किया। एजेंट ने फौरन लोकल स्टेशन मैनेजर को बताया और इन्फॉर्मेशन एयर इंडिया के हेडक्वार्टर भेज दी गई।

एअर इंडिया के एक अफसर ने कहा, ''हम टिकट बुक करते वक्त गायकवाड़ के मिलते-जुलते नामों और उन्हें संसद की ओर से जारी किए कूपन पर नजर रख रहे हैं। बता दें कि एयरलाइन्स के मैनेजर को सैंडल से मारने के बाद 7 दिन में गायकवाड़ ने 5 बार टिकट बुक किए, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी।

क्या है मामला?
गायकवाड़ पर 23 मार्च को एअर इंडिया के स्टाफर को 25 बार सैंडिल मारने का आरोप है। खुद उन्होंने मीडिया के सामने इसे कबूल भी किया था। माफी मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा था, "मैं माफी नहीं मांगूगा, गलती मेरी नहीं उनकी है। माफी उन्हें मांगनी चाहिए।"

क्या कहते हैं नियम?
एयर एक्ट 1972 के चैप्टर-4 के तहत एयरलाइन्स किसी को भी टिकट देने से मना कर सकती है। एयरक्राफ्ट रुल्स 1937 का नियम-22 और 23 रोक को सही ठहराता है।

क्या होती है नो-फ्लाई लिस्ट?
दुनिया के कई देशों में यह सिस्टम है जिसमें बदसलूकी या हिंसा करने वाले एयर पैसेंजर्स को इस लिस्ट में डाल दिया जाता है। इस लिस्ट में आने के ये मायने हैं कि आप दोबारा उस एयरलाइन से ट्रैवल नहीं कर सकते। यह बैन आप पर हमेशा के लिए या कुछ साल या महीनों के लिए हो सकता है। यूएस में अगर कोई नो-फ्लाई लिस्ट में है तो उसके बारे में एयरलाइन्स को अपने आप अलर्ट कर दिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में भी एविएशन मिनिस्ट्री पिछले कुछ समय से इस पर विचार कर रही है। यहां भी बदसलूकी करने वाले पैसेंजर्स पर कुछ महीनों या कुछ साल के लिए एयरलाइन में ट्रैवल करने पर बैन लगाया जा सकता है।

हो सकती है 7 साल तक की सजा
शिवसेना सांसद के खिलाफ आईपीसी 308 और 355 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि आईपीसी 308 (गैर-इरादतन हत्या की कोशिश है, यानी किसी शख्स पर हमला करने से उसकी जान को खतरा हो जाए, जबकि इरादा जान लेने का ना हो) इसमें 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है। जबकि आईपीसी 355 (बदसलूकी और बलपूर्वक हमला करना) में 2 साल की सजा हो सकती है।

सांसद पर बैन संविधान के खिलाफ: शिवसेना
शिवसेना सांसद आनंदराव अडसूल ने एयरलाइन्स द्वारा गायकवाड़ को बैन करने का मामला लोकसभा में उठाया था। उन्होंने कहा, "एयरलाइन्स का सांसद पर बैन लगाना गलत है। यह संविधान और कानून के खिलाफ है और सरकार को इसमें तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। शिवसेना स्पोक्सपर्सन मनीषा कायंदे ने कहा था, "एअर इंडिया के बाद 4 और एयरलाइन्स का गायकवाड़ को नो-फ्लाई लिस्ट में डालने का फैसला बेतुका है, वो क्रिमिनल नहीं हैं।

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