
सीएनएन ने टीजर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘यह ‘मुर्दों के शहर’ के तौर पर जाना जाता है। रेजा असलान सीएनएन की नई सीरिज में आपको इसके अंदर लेकर जाएंगे। यह शो रविवार को रात 10 बजे से शुरू होगा।’ टीजर के वीडियो में काशी की जिंदगी दिखाई गई है। इसके साथ ही घाट पर अंतिम संस्कार को भी दिखाया गया है। नेताओं और लेखकों से लेकर कई इतिहासकारों ने सीएनएन पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह मुर्दों का शहर नहीं है। साथ ही कहा है कि इसके लिए चैनल और शो के होस्ट माफी मांगे।
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले हिंदी के प्रोफेसर रॉफ़ल इयान बाबू ने लिखा है, ‘मैंने कभी भी मेरे वाराणसी के किसी दोस्त से शहर के बारे में ऐसा नहीं सुना। मैं वहां कुछ समय के लिए रहा भी हूं और यह अनुभव बहुत ही शानदार था।’ लेखक अमिष त्रिपाठी ने लिखा है, ‘हम भारतीय काशी को कभी भी मुर्दों का शहर नहीं कहते। यह रोशनी का शहर है। आपको कुछ सही रिसर्च करना चाहिए।’