AKHILESH YADAV: 5 प्रमुख वजह जो सबसे हानिकारक निकलीं

नई दिल्ली। पांच साल सत्ता में रहने के बाद अखिलेश यादव को इतनी करारी हार आखिर क्यों झेलनी पड़ी? क्या वजह रही जिसने यूपी के लोकप्रिय चेहरे अखिलेश को बुरी तरह मायूस कर दिया। क्या मोदी लहर ने समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ कर दिया या फिर पारिवारिक कलह ने एसपी का बेड़ा गर्क कर दिया। आइए जानने की कोशिश करते हैं सपा ने किन वजहों से सत्ता गंवाई।

यूपी के यादव कुनबे में कलह
अगर कहा जाए कि मुलायम कुनबे में कलह ही पार्टी की हार की सबसे बड़ी वजह बनी तो ये गलत नहीं होगा। चुनाव सुगबुगाहट शुरू होते होते ही सपा में तकरार की शुरुआत हो गई। पहली वजह बनी मुलायम-शिवपाल का मुख्तार अंसारी जैसे आपराधिक नेताओं को पार्टी में लेने की शुरुआत करना। अखिलेश ने यहीं से अपने पिता के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। अखिलेश ने मुलायम-शिवपाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए विद्रोह कर दिया। पार्टी की कमान अपने हाथ लेकर कांग्रेस के साथ गठबंधन का फैसला किया। अखिलेश का फैसला बोल्ड माना गया, लेकिन इस फैसले और उनकी छवि पर परिवार और पार्टी में मची कलह भारी पड़ गई। मतदाताओं के बीच संदेश गया कि जब परिवार का झगड़ा ही संभल रहा तो ये पार्टी प्रदेश कैसे संभालेगी।

गुंडों की सरकार का ठप्पा
पिछले पांच के दौरान अखिलेश सरकार की छवि एक ऐसी सरकार के रूप में बनी जिसके राज में अपराधियों का बोलबाला रहता है। सपा सरकार पर गुंडों की सरकार का ठप्पा लगा। अखिलेश ने चुनाव आते-आते अपराधी नेताओं के खिलाफ पार्टी के दरवाजे बंद जरूर कर दिए, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। मुलायम और शिवपाल ने मुख्तार अंसारी को लाने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन ऐन वक्त पर अखिलेश अड़ गए।

नोटबंदी का विरोध 
पीएम नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला लगता है मतदाताओं पर जादू कर गया। पूरा विपक्ष मोदी के इस फैसले के खिलाफ मुहिम चलाता रहा, लेकिन आखिर में जनता ने मोदी के इस फैसले पर मुहर लगा दी। अपनी हर रैली में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने नोटबंदी को लेकर मोदी को जमकर निशाना बनाया, लेकिन इनका ये दांव नहीं चला। नोटबंदी का आम लोगों ने समर्थन किया और बता दिया कि देशहित में सख्त फैसला उन्हें मंजूर है।

साम्प्रदायिक तनाव 
पिछले पांच साल के दौरान यूपी में कानून-व्यवस्था का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। आए दिन होने वाले अपराध मीडिया की सुर्खियां बनते रहे। मुजफ्फरपुर दंगे का मुद्दा को देश के बाहर तक गूंजा। इसके अलावा बरेली, अलीगढ़, सहारनपुर, लखीमपुर खीरी जैसे कई शहरों में छोट-मोटे दंगों की खबरें तो आती ही रहीं। बलात्कार की खबरें और उस पर यूपी पुलिस का रवैया आए दिन टीवी पर बहस का मुद्दा बनता रहा। एक जाति विशेष के अधिकारियों को अधिकतर थानों में तैनात करने का आरोप भी अखिलेश सरकार पर लगा। धर्म विशेष के तुष्टिकरण के आरोप भी इस सरकार पर लगे।

गधा बयान पड़ा भारी
समाजवादी पार्टी नेताओं के बयानों ने भी एसपी का खेल खराब करने में कसर नहीं छोड़ी। अखिलेश समेत तमाम एसपी नेताओं ने पीएम मोदी पर जबरदस्त बयानबाजी की। खास तौर पर अखिलेश ने मोदी को निशाने पर लेते हुए गुजरात के गधों का जिक्र किया। इसके जवाब में मोदी ने अपनी हर रैली में अखिलेश को निशाना बनाया। मोदी ने यहां तक कहा कि मैं गधे से भी प्रेरणा लेता हूं। गधा बहुत मेहनती जानवर है और दिन रात खटता रहता है। अखिलेश किससे प्रेरणा लेते हैं? मोदी के पलटवार ने अखिलेश को को बैकफुट पर ला दिया था और इसका असर अब देखने को मिल रहा है।

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