होली 2017: शुभ मुहूर्त, कथा एवं टोने टोटके

दीप्ती दीदी। होली पूजन की शुरुआत होलकाष्टक से होती है। इस वर्ष होलाष्टक 8 मार्च से 16 मार्च तक रहेगा। इन आठ दिनों के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। होलाष्टक के दिन होलिका दहन के लिए 2 डंडे स्थापित किए जाते हैं। जिनमें एक को होलिका तथा दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है। 12 मार्च को होलिका दहन और 13 मार्च को धुलेंडी खेली जाएगी। पौराणिक एवं शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए डंडा स्थापित हो जाता है, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। 

होली 2017 के शुभ मुहूर्त 
वर्ष 2017 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 12 मार्च को शाम 06:31 से लेकर रात 08:23 तक का है। अगले दिन 13 मार्च 2017 को रंग वाली होली खेली जाएगी। धार्मिक एवं सामाजिक एकता के इस पर्व होली के होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती हैं। वहीं बाजारों में भी होली की खूब रौनक दिखाई पड़ती है। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्यौहार होली हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पवित्र त्यौहार के सन्दर्भ में यूं तो कई कथाएं इतिहासों और पुराणों में वर्णित है, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ विष्णु पुराण में वर्णित प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है।

प्रहलाद और होलिका की कथा (Story of Holi in Hindi)
नारद पुराण की एक कथानुसार श्रीहरि विष्णु के परम भक्त प्रहलाद का पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरंकुश था। उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासों के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। तदुपरांत हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की भक्ति को देखते हुए उसे मरवा देने का निर्णय लिया। लेकिन अपने पुत्र को मारने की उसकी कई कोशिशें विफल रहीं इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह कभी जल नहीं सकती। होलिका अपने भाई के कहने पर प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई। लेकिन इस आग में प्रहलाद तो जला नहीं पर होलिका जल गई। तभी से इस त्यौहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी है।

घर के द्वार पर होलिका कैसे सजाएं 
होलिका दहन के रात्रि में किया जाता है परंतु महिलाएं सामूहिक पूजन शाम को ही कर लेती हैं। इस पर्व होली के होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती हैं। पूजन के लिए पहले गोबर और जल का चोक बनाया जाता है ततपश्चात एक सीधी लकड़ी के चारों ओऱ बड़कुला (गूलरी) की माला उसके चारों तरफ लगाते है उन मालाओं के आस-पास गोबर से बनी हुई ढाल, तलवार ,सूरज, चाँद और नारियल लगाते हैं। 

पूजा की थाली में फूल, रोली, मोली, जल, गुलाल, चावल, ढाल,तलवार, कच्चा सूत, नारियल गेंहू की बाली, गुड़ व छोटी छोटी बाटी बनाकर रखी जाती है उसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर पूजन करते हैं। कच्चा सूत होलिका के चारों तरफ लपेटते हैं पूजन के बाद ढाल, तलवार, घर में रखते हैं। होलिका दहन के बाद महिलाएं लोटे से सात बार जल अर्घ देती हैं, नारियल चढ़ाती है और पुरुष बाली व बाटी सेंकते हैं। इन्हें सभी को बांटकर खाते है यदि आप होली घर पर जलाते है तो बड़ी होली से अग्नि घर पर लाकर पूजा करें। पूजा के बाद सभी को गुलाल लगाये व बड़ो के पैर छूकर आशीष लें। 

रंग वाले दिन क्या करें 
होली के अवसर पर सतरंगी रंगों के साथ सात सुरों का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इस दिन रंगों से खेलते समय मन में खुशी, प्यार और उमंग छा जाते हैं और अपने आप तन मन नृत्य करने को मचल जाता है। दुश्मनी को दोस्ती के रंग में रंगने वाला त्यौहार होली देश का एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिसे देश के सभी नागरिक उन्मुक्त भाव और सौहार्दपूर्ण तरीके से मानते हैं। इस त्यौहार में भाषा, जाति और धर्म का सभी दीवारें गिर जाती है, जिससे समाज को मानवता का अमूल्य सन्देश मिलता है।

होली के टोने टोटके 
मनचाहे वरदान के लिए होली के दिन हनुमान जी को पांच लाल पुष्प चढ़ाएं, मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। होली की सुबह बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। किसी मंदिर में शंकर जी को पंचमेवा की खीर चढ़ाएं, मनोकामना पूरी होगी।  

मनचाही नौकरी पाना हो तो होली की रात बारह बजे से पहले एक दाग रहित बड़ा नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसकी चार फांक कर चारों कोनों में फेंक दें। फिर वापिस घर जाएं किंतु ध्यान रहे, ... वापिस लौटते समय पीछे मुड़कर न देखें। यह उपाय श्रद्धापूर्वक करें, शीघ्र ही रोजगार प्राप्त होगा।  

व्यापार में लाभ के लिए होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपड़े में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा। होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दुकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। उपाय निष्ठापूर्वक करें, होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपड़े में लपेट कर दुकान में या व्यापार स्थल पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें। 
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