उपदेश अवस्थी/भोपाल। उमा भारती और विवाद कभी एक ही सिक्के के 2 पहलु हुआ करते थे परंतु भारतीय जनशक्ति के हश्र ने शायद उमा को राजनीति के आत्मज्ञान से बखूबी अवगत करा दिया। यूपी में उमा भारती सीएम पद के लिए सशक्त दावेदार हैं परंतु वो कतई अति उत्साहित नहीं हैं। पहले जैसी कोई हरकत नहीं कर रहीं। बड़ी ही शांति के साथ अवसर के हाथ में आने और समय के अनुकूल बनने की प्रतीक्षा कर रहीं हैं। शायद वो नहीं चाहतीं कि जब यूपी में भाजपा जीत जाए तो नागपुर या दिल्ली की तरफ से उनके नाम पर कोई आपत्ति आए।
उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से जारी हुए पोस्टर-होर्डिंग, बैनर और स्लोगन के प्रचार-प्रसार माध्यम में नरेंद्र मोदी, अमित शाह के अलावा जिन स्थानीय तीन नेताओं को तवज्जो दी है उनमें राजनाथ सिंह, केशव प्रसाद मौर्य और उमा भारती प्रमुख हैं। पार्टी ने उमा भारती को उन क्षेत्रों में सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं जहां पर पिछड़ी जातियों के लोग बसे हैं। साथ ही उमा भारती मप्र की सीमा से लगे यूपी की चालीस से ज्यादा विधानसभा सीट पर भी प्रचार कर रही हैं, जहां पर उनका प्रभाव रहा है।
गौरतलब है कि उमा भारती का गृह जिला टीकमगढ़, मप्र भी उत्तरप्रदेश की सीमा के नजदीक है।एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान उमा भारती ने दो टूक शब्दों में कहा कि उत्तरप्रदेश मे पूर्ण बहुमत ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि मुझे जो दायित्व मिला है उससे मैं संतुष्ट हूं। यूपी का मुख्यमंत्री कौन होगा यह पार्टी के विधायक तय करेंगे। पहली बार है जब उमा भारती की ओर से इस तरह का संतुलित शब्दों वाला बयान आ रहा है। तमाम ठोकरों के बाद ही सही, आखिर उमा भारती भी राजनीति की चालें सीख ही गईं। UMA BHARTI | UP ELECTION | POLITICAL | ANALYSIS |