नई दिल्ली। संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए नरेंद्र मोदी का 'रेनकोट' वाला बयान व्यंग्य की श्रेणी में आता है या अपमान की। कानून के विशेषज्ञ इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं, क्योंकि यदि यह अपमान की श्रेणी में आता है तो अपराध माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसला देते हुए कहा है कि ‘लोकतंत्र में व्यंग्य की इजाजत है लेकिन अपमान की नहीं’ यह टिप्पणी एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उस समय की थी जब एक मराठी कविता में महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी की गई थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी एतिहासिक व्यक्ति के बारे में व्यंग्य तो किया जा सकता है, लेकिन उसके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
यह ईमानदार प्रधानमंत्री का अपमान है: कांग्रेस
ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ संसद में की गई बाथरूम में रेन कोट पहनकर नहाने वाली टिप्पणी पर सियासी जंग छिड़ गई है। दरअसल विपक्ष अब इसे सियासी मुद्दा बना रहा है, कांग्रेस का तर्क है कि दस साल तक प्रधानमंत्री रहे और बेदाग छवि के वरिष्ठ नेता पर इस तरह की टिप्पणी करके प्रधानमंत्री ने उनका अपमान किया है।
संसद में मनमोहन ने कभी नहीं तोड़ी मर्यादाएं
मनमोहन सिंह को राजनीति का भद्र पुरुष कहा जाता है, प्रधानमंत्री के दस साल के कार्यकाल में उनके बोल कभी नहीं बिगड़े। हमेशा ही संसद में विपक्ष के हमलों का शालीनता के साथ जवाब देना मनमोहन सिंह की कार्यशैली में शामिल था। उनके अलावा भी ज्यादातर प्रधानमंत्रियों ने अपने विरोधियों को जवाब दिए परंतु मर्यादित शब्दों का उपयोग करते हुए। ऐसे में अब प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर संसद का माहौल गरमाना लाजमी है।
अमेरिका में नहीं होतीं ऐसी टिप्पणियां
अमेरिका में कोई भी उत्तराधिकारी अपने पूर्ववर्ती के खिलाफ अभद्र टिप्पणी का प्रयोग नहीं करता है। ओबामा अब पूर्ववर्ती बन चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद ट्रंप द्वारा उनके प्रति असम्मानजनक टिप्पणी नहीं करेंगे। पहले भी यहां इस तरह की टिप्पणी के मामले सामने नहीं आए हैंं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि
जबकि मनमोहन सिंह मौजूदा समय में राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस ही नहीं देशवासियों के लिए भी वह सम्मानित व्यक्ति हैं। ऐसे में वह संसद में सम्मान के हकदार हैं। इसलिए कांग्रेस को उनके समर्थन में उतरने का पूरा अधिकार है। ऐसे में राष्ट्रीय पार्टी संसद में प्रधानमंत्री के खिलाफ तब तक बायकाट कर सकती है, जब तक कि उन्हें यह गारंटी नहीं मिल जाती है कि आगे पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं किया जाएगा।