संविदा शिक्षक बनने का सपना हो सकता है चूर-चूर

नीरज पाटीदार। मध्यप्रदेश के बेरोजगार युवा पिछले 6 सालो से संविदा शिक्षक बनने के लिये लाखों रूपये खर्चे करके D.Eed/ B.Ed की डिग्री करने के बाद बाट जोह रहे थे कि कब परीक्षा में पास होकर संविदा शिक्षक बन जायें। कई युवा साथियों ने कर्ज लेकर पढ़ाई की है।

लेकिन मध्यप्रदेश के युवा को संविदा शिक्षक बनने में सबसे बड़ी समस्या है कि इस परीक्षा में अन्य राज्यों के निवासी भी बडी संख्या में आवेदन करेँगे, और आपको मिलने वाली नौकरी को छीन लेंगे। जबकि आप अन्य राज्यों में होने वाली भर्ती परीक्षाओं में आवेदन नहीं कर सकते, क्योंकि अन्य राज्यों में उस राज्य के मूलनिवासी ही फार्म भर सकते हैं।

पिछली भर्ती परीक्षा में 21% राजस्थान के छात्र संविदा शिक्षक बन गये थे। अभी पुलिस आरक्षक भर्ती में 60% लोग बिहार और उत्तरप्रदेश के लड़के चुने गये हैं।

आखिर ये समस्या कैसे पैदा हुई
व्यापम परीक्षाओं (ग्रेड 2,3,4) में पहले मध्यप्रदेश का मूलनिवासी होना एवं मूलनिवास वाले जिले में आवेदक का वैध रोजगार पंजीयन अनिवार्य था। व्यापम घोटाला के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार ने चुपके से नियमों में परिवर्तन कर दिया। बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को फर्जीवाडा करके भर्ती करने के लिये- मध्यप्रदेश का मूलनिवासी होने एवं रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता हटा दी और मध्यप्रदेश का मूलनिवासी के स्थान पर आवश्यक योग्यता "भारत का निवासी अथवा नेपाल या भूटान की प्रजा" कर दिया।

इसी नियम का लाभ उठाकर राज्यपाल रामनरेश यादव ने आजमगढ़ उप्र के 58 लड़कों को व्यापमं घोटाला करके सरकारी नौकरी दिलवा दी। खुद के राज्य के लड़के बेरोजगारी काटे और दूसरे राज्यो के लोग नौकरी पाएं। खुद के राज्य के लड़के नर्सिंग की पढ़ाई कर के मध्यप्रदेश में भटक रहे हैं क्योंकि इन्ही शिवराज महाराज ने, नर्सिंग की भर्ती प्रक्रिया चुपके से बदल कर 100% महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी है और हजारों युवाओ को भटकने पे विवश कर दिया। जबकि हर राज्य में समानता पूर्वक महिला पुरुष के लिए भर्ती प्रक्रिया है। 

जब हमें अन्य राज्यों में भर्ती की पात्रता नहीं है तो अन्य राज्यों के लोगों को मध्यप्रदेश में पात्रता क्यों दी जा रही है?

मध्यप्रदेश छात्र हित मे 
नीरज पाटीदार 
मोबाइल नंबर 9993559998

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