
सत्ता-संगठन यह चाहता है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में होने वाली बैठक के दौरान यह मुद्दा तूल न पकड़े। साथ ही यह संकेत भी न जाए कि पार्टी जिलाध्यक्ष का निर्णय नहीं कर पा रही, इसलिए संगठन स्तर पर सभी संभावित नेताओं से चर्चा कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि संघ प्रमुख के सामने शिकवे-शिकायत की स्थिति न बने।
राजधानी में भाजपा जिलाध्यक्ष पर आलोक शर्मा को दो कार्यकाल पूरे हो चुके हैं। तीसरे कार्यकाल का भी आधा समय निकल चुका है। शर्मा का करीब दो साल पहले भोपाल के महापौर पद पर निर्वाचित हुए थे। उनके पास संगठन के लिए समय नहीं है। उसके बाद से जिलाध्यक्ष के लिए उत्तराधिकारी की तलाश चल रही है, लेकिन राजधानी के विधायकों एवं अन्य नेताओं के बीच आम सहमति नहीं बन पा रही।
शनिवार को रातापानी की बैठक में मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, संगठन महामंत्री भगत और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने संगठन के अन्य मुद्दों के साथ इस विषय पर भी चर्चा के बाद यह तय किया गया कि सबको बता दिया जाए कि संघ की बैठक के बाद घोषणा कर दी जाएगी। ताकि विवाद ना हो। हाल ही में संगठन महामंत्री सुहास भगत भोपाल के नेताओं से अलग-अलग चर्चा कर फीडबैक ले चुके हैं।