महाकाल के चमत्कारी शिवलिंग से ही बना हुआ पृथ्वी का संतुलन

पंडित चंद्रशेखर। उज्जैन अवंतिकापूरी सिद्ध सप्तपुरी मॆ से एक है। काल गणना का मध्यबिंदु है। कर्क रेखा ठीक उज्जैन के ऊपर से गुजरती है। मंगलग्रह का जन्म स्थान है। पवित्र शिप्रा नदी यहीं से बहती है।संसार का सबसे पुराना पंचांग विक्रम सम्वत उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नाम से निकलता है।

उज्जैन मॆ काल का प्रभाव
काल यानी समय सभी का आता है साथ ही काल सभी कॊ खाता है। ऐसा काल भी भूतभावना महाकाल घबराता है। इसका साक्षात उदाहरण विक्रम सम्वत का चलना जो आजतक सबसे प्राचीन कालगणना का कारक है। बहुत से नामी गिरामी राजा, सम्राट, संस्था तथा बड़ी-बड़ी हस्तियों का जन्म होता है। परन्तु कुछ तो तुरंत भुला दिये जाते है तथा कुछ लोग सदियों के बाद परन्तु जिसपर महाकाल की कृपा होती है ऐसा जातक चिरकाल तक अमर रहता है।विक्रम सम्वत उसका ही उदाहरण है।

सिद्ध ज्योतिर्लिंग
वैसे तो पृथ्वी मॆ बारह ज्योतिर्लिंग है लेकिन महाकाल ज्योतिर्लिंग की महिमा सबसे अलग है। इन 12 ज्योतिर्लिंग के अलावा पूरे ब्रह्मांड मॆ तीन ज्योतिर्लिंग खास है।
*मृर्त्युलौके महाकाल पाताले हाट्केसवरम आकाशातारकालिँगम त्रेय लिँगम नमौस्तुते*
अर्थात पृथ्वी मॆ महाकाल लिंग श्रेष्ठ है आकाश मॆ तारों का लिंग जिसे देवता पूजते है वही पाताल मॆ हाटकेषवर लिंग है जिसकी असुर तथा नाग पूजा करते है। इस तरह से महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार है।

पृथ्वी की नाभि
इस स्थान कॊ पृथ्वी की नाभि माना जाता है जैसे मां की नाभि से बच्चे का सम्बन्ध है उसी तरह से संसार का उज्जैन की भूमि से है। यहां प्रकट हुआ शिवलिंग अनंत है। कहा जाता है कि इसी चमत्कारी शिवलिंग के कारण पृथ्वी का संतुलन बना हुआ है और वो अपनी धुरी पर घूम पाती है। यदि किसी भी कारण से यह प्रभावित हुआ तो सारी पृथ्वी का संतुलन प्रभावित हो जाएगा। हाहाकार चम जाएगा। महाकाल आ जाएगा। शायद इसीलिए इस शिवलिंग को 'महाकाल' पुकारा जाता है। कागज मॆ कोई भी कोण त्रिकोण बनाने के लिये जिस तरह मूल बिंदु का महत्व होता है उसी तरह अपना जीवन संवारने के लिये इस स्थान का है। इस स्थान मॆ किया गया कोई भी कर्म अनंत गुना फल देता है।

मंगलदोष का निवारण
मंगल की जन्मस्थान तथा तपस्यास्थल होने के कारण यहा मंगल जनित सभी दोष का निराकरण होता है।जीवन मॆ मंगल दोष विवाह सम्बंध रक्तसम्बन्ध ,भाइयों मॆ वैमनस्य तथा कर्ज कॊ बढ़ाता है।यहा स्थित है मंगलनाथ लिंग की पूजा करने से आपकी बहुत सी समस्या का निवारण होता है।चूँकि हम भूमि मॆ रहते है इसीलिए भूमिपुत्र मंगल की पूजा विशेष महत्व रखती है।

मशहूर किंवदन्ति
इस क्षेत्र मॆ यह किंवदन्ति मशहूर है की इस नगरी के राजा महाकाल भगवान है। इसीलिए कोई भी नगर रियासत, देश, विदेश का राजा यहा रात्रि विश्राम नही कर सकता यदि वह रुकता है तो उसकी मौत हो जाती है कारण है की महाकाल राजा के नगरी मॆ कोई और राजा नही रह सकता।

सभी देवता स्वयंभू
इस क्षेत्र के सभी देवता स्वयंभू अर्थात खुद प्रकट होकर इस क्षेत्र मॆ ज्योतिस्वरूप मॆ स्थित है।इसीलिये इस क्षेत्र का खास महत्व है। इसीलिये इस महाशिवरात्रि मॆ भगवान महाकाल का ऑनलाइन दर्शन कर मानसिक पूजन करे तो निश्चित रूप से आपका कल्याण होगा।
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