
सामान्य वर्षों में भी समय से पहले बजट पेश करने पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), राजस्व, सार्वजनिक खर्च इत्यादि से जुड़े वार्षिक आंकड़ों का अनुमान पेश करने में दिक्कत होती है,इस बार भी है क्योंकि इसके लिए साल के केवल सात-आठ महीनों का डाटा उपलब्ध होगा। लेकिन ये सामान्य वर्ष नहीं है। नोटबंदी और उसके बाद नकदी की किल्लत ने अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है। इतना तो सबको पता है कि इससे पड़े प्रभाव कितने है, कहां तक है पर कब तक रहेंगे कोई नहीं जनता।
‘सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑर्गेनाइजेशन’ (सीएसओ) ने सरकार की मदद करते हुए एक महीने पहले ही जीडीपी का अनुमान दे दिया ताकि बजट निर्माण की प्रक्रिया में सहूलियत हो। इस अनुमान में नोटबंदी से होने वाले असर नहीं होंगे इसलिए वित्त मंत्रालय को संभावित जीडीपी का मामूली आभास ही मिला है |ये “सुरक्षित” अनुमान इस साल की अनुमानित जीडीपी विकास दर ७.१ प्रतिशत से थोड़ा ही कम है जो कि जाहि वास्तविकता में ज्यादा हो सकता है।
दूसरे स्रोतों से मिले आंकड़ों के अनुसार असंगठित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी से बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से मांग और आपूर्ति के चक्र पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है। साथ ही स्वरोजगार करने वालों के रोजगार, आमदनी और आय में कमी भी आयी है। इन आर्थिक नुकसान की एक-दो महीनों में भरपायी नहीं हो सकती। चूंकि अभी भी नकदी का संकट बरकरार है इसलिए इसका विपरीत प्रभाव आगे भी जारी रहेगा और भविष्य की आर्थिक गतिविधियों और निवेश योजनाओं को कुंद करेगा। ऐसे में जाहिर है कि सीएसओ के अनुमान से आर्थिक स्थिति का पूरा पता नहीं चलेग।
राजस्व से जुड़े अनुमान भी अनिश्चित हैं। वित्त मंत्रालय ने पिछले दो महीनों में टैक्स राजस्व में हुई बढ़ोतरी का प्रयोग करते हुए संकेत दिया है कि नोटबंदी के कारण आर्थिक गतिविधियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है और असलियत में राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। भारत सरकार अंतरराष्टरीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमत को यथामूल्य पर रखते हुए कस्टम और एक्साइज कर की दरें बढ़ा दीं। वहीं आर्थिक सुस्ती के वजह से आखिरी तिमाही में अप्रत्यक्ष कर से होने वाले राजस्व में कमी आने का अनुमान है।
कमोबेश नोटबंदी के कारण आयी आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए तत्काल वित्तीय उपाय करने की जरूरत है। अर्थव्यवस्था को भारी झटका देने के बाद सरकार को इसे रोकने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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