मुंबई। मालेगांव में सितंबर 2008 में हुए विस्फोट मामले की जांच कर रही एनआईए ने बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की ओर से पूर्व में की गई जांच लचर थी और इसमें अनेक खामियां थीं। एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर वी मोरे और न्यायाधीश शालिनी फनसाल्कर की पीठ को बताया कि यद्यपि इस मामले में एटीएस की थ्योरी सही थी लेकिन इसकी जांच ठीक ढंग से नहीं की गई।
पाटिल ने कहा,‘‘यह लचर थी और इसलिए एनआईए इसे उस स्वरूप में नहीं स्वीकार कर सकी, जिस रूप में यह थी। हमने जब जांच का जिम्मा लिया तो उन कमियों को दूर करने का प्रयास किया।’’ इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक प्रसाद पुरोहित की जमानत याचिका को सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया था जिसके बाद पुरोहित ने सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की थी और अदालत उसी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि वह आठ वर्ष से हिरासत में है और जांच एजेंसी उसके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के लिए उचित मंजूरी नहीं हासिल कर पाई है। बता दें कि प्रज्ञा सिंह को जमानत मिल चुकी है। वो भोपाल में कैंसर का इलाज करा रहीं हैं।