
इसके कारण उनकी कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मार गया था। सारे उपचार विफल हो जाने के बाद में उन्हें एम्स लाया गया। उनके गर्भवती होने के कारण मामला और भी पेंचीदा हो गया था। काफी विचार-विमर्श के बाद डॉक्टरों ने ट्यूमर को खत्म करने के लिए न्यूरोटॉक्सिक ड्रग 'एब्सल्यूट एल्कोहल' की एक निश्चित मात्रा को ट्यूमर में पंप कर उसे नष्ट करने का फैसला किया।
चौंकाने वाले परिणाम सामने आने के बाद अब इसे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में रिकॉर्ड कर लिया गया है। एम्स के डॉक्टरों ने पहली बार गर्भावस्था की एडवांस स्टेज में पहुंची किसी महिला पर किया। एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. पीएस चंद्रा ने इस टेक्निक को विकसित किया है।
उन्होंने बताया कि एमआरआई से पता चला कि यह रीढ़ की हड्डी का एक ट्यूमर था। बहुत सारे लोगों का मानना था कि यह एक कैंसर ट्यूमर था, जिसका कोई इलाज नहीं है। 'वह एम्स में न्यूरोसर्जरी विभाग में लाया गया था। सबसे बड़ी चुनौती इसकी सर्जरी करना था क्योंकि यह वेस्कुलर था और यदि डॉक्टर उसे छूते, तो उससे काफी खून निकल सकता था।
वर्तमान में विशेषज्ञ 'इंट्रा-आर्ट्रियल इंबोलाइजेशन' कर रहे हैं, जिसमें वे ट्यूमर में कुछ ग्लू भर देते हैं। यह प्रक्रिया सर्जरी से 4-6 घंटे पहले की जाती है और उसमें करीब 3-4 लाख रुपए खर्च होते हैं। जबकि एब्सल्यूट एल्कोहल से इलाज करने में महज कुछ हजार रुपए का खर्च ही आता है।
एब्सल्यूट एल्कोहल में 99 फीसद इथेनॉल होता है। यह कोशिकाओं से पानी को बाहर निकालकर उन्हें डिहाइड्रेट (सुखा देना) कर देता है। इस तरह सेलुलर प्रोटीन की संरचना को बदलकर वह ट्यूमर का विनाश कर देता है। लंबे समय में यह नई हड्डी के निर्माण की प्रक्रिया को करता है, जिससे रीढ़ की हड्डी में चिकित्सा सुविधा मिलती है। इसके अलावा, यह एक शक्तिशाली इंबोलाइजिंग एजेंट है, जो ट्यूमर को रक्त की आपूर्ति बंद कर देता है।
इस तकनीक को प्रतिष्ठित जर्नल 'न्यूरोसर्जरी' में प्रकाशित किया गया है, जो अमेरिका के कॉन्ग्रेस ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जन का आधिकारिक जर्नल है। इलाज के कुछ ही घंटों के बाद श्रुति को राहत मिल गई और कुछ सप्ताह बाद उसने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।