मप्र: 3 बच्चों के साथ वर्षों से गुफा में रह रही महिला, ना इंदिरा का आवास मिला ना मोदी का मकान

रामबिहारी पाण्डेय/सीधी। सरकार ने बेघर परिवारों को घर देने के लिए तमाम योजनाएं संचालित की हैं, लेकिन सिस्टम में मौजूद दलाली और घूसखोरी के कारण उचित व्यक्ति तक ये योजनाएं पहुंच ही नहीं पातीं। हकीकत देखना हो तो मझौली जनपद के ठोंगा गांव चलिए। यहां एक विधवा महिला 3 मासूम बच्चों के साथ वर्षों से गुफा में गुजारा करने को मजबूर है।

उसने स्थानीय प्रशासन से लेकर सांसद विधायक तक गुहार लगाई लेकिन न उसे आवास योजना का लाभ मिला न ही स्थानीय स्तर पर कोई मदद मिली। स्थानीय लोगों की मानें तो बारिश का मौसम हो या फिर कड़ी धूप अथवा दिसंबर-जनवरी की हाड़ कंपा देने वाली ठंड ठोंगा निवासी जानवाई 50 वर्ष के लिए चट्टानों की चार दीवारी ही सहारा है।

तीन मासूम बच्चों साथ सहन करती आ रही यातना
पत्थरों के नीचे रहकर वह मौसम की यातना का सामना अकेली नहीं बल्कि तीन मासूम बच्चों के साथ वर्षों से सहन करती आ रही है। न सिस्टम ने साथ दिया और न ही समाज के ठेकेदार इसकी मदद के लिए सामने आए। पीडि़ता ने स्थानीय विधायक कुंवर सिंह टेकाम व कलेक्टर से भी आवास दिलाने की गुहार लगा चुकी है। 

पंचायत सचिव ने दी गलत जानकारी
स्थानीय लोगों की मानें तो आवासहीन लोगों की जानकारी जिले से समस्त ग्राम पंचायतों से मंगाई गई थी जिसका लक्ष्य था कि आवासहीन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाया जा सके। सचिव ने लिखकर दिया है कि ठोंगा में कोई आवासहीन नहीं है। जिस कारण उक्त महिला आवास योजना के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
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पति की मौत के बाद बच्चों के साथ गांव में इधर-उधर भटकती थी। बाद में इस पत्थर के नीचे ही गुजर-बरस करने लगी। विधायक और कलेक्टर से बिनती कर चुकी हूं, लेकिन आवास नहीं मिला।
जानवाई अगरिया 
पीडि़ता ठोंगा गांव

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