
राजस्व विभाग ने विवादित जमीन के मामले निपटाने के लिए नियम तैयार कर लिए हैं। इसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा के बजट सत्र में रखा जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक नियमों का फायदा वर्ष 2000 के पहले से सरकारी जमीन पर काबिज व्यक्तियों को ही मिलेगा। नियम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए वैधानिक दस्तावेज दिखाने की शर्त है।
यदि व्यक्ति ने मकान बनाने से पहले नगर निगम से बिल्डिंग परमिशन ली है या वो नियमित तौर पर बिजली बिल पर भुगतान कर रहा है तो ही उसे मालिकाना हक मिलेगा। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित नियमों का प्रजेंटेशन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने होगा और इसी माह कैबिनेट में रखा जाएगा।
तीन श्रेणियां निर्धारित होंगी
सूत्रों का कहना है कि जमीन की तीन श्रेणियां आवासीय, शैक्षणिक, कृषि और गैर कृषि भूमि होंगी। आवासीय जमीन पर एक हजार वर्गफुट से लेकर पांच हजार वर्गफुट जमीन के हिसाब से प्रीमियम और लीज रेंट लिया जाएगा। ये एक रुपए से लेकर बाजार मूल्य के 3 प्रतिशत तक रहेगा। वहीं, लीज रेंट 100 रुपए से लेकर प्रीमियम का पांच से लेकर साढ़े सात प्रतिशत तक होगा।
यहां नहीं मिलेगी अनुमति
मंदिर की जमीन
औकाफ की जमीन
नालेे या नदी के एप्रोच की जमीन
सीलिंग की जमीन
व्यक्तिगत प्रकरणों में नहीं मिलेगा फायदा
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यदि कहीं किसी व्यक्ति ने अकेले 10 हजार वर्गफीट सरकारी जमीन पर कब्जा करके मकान बना लिया है तो उसे नए नियमों के तहत मालिकाना हक नहीं मिलेगा। क्लस्टर में जमीन होने पर ही ये नियम लागू होंगे। इसके लिए कम से कम पांच हेक्टेयर क्षेत्र की सीमा तय रहेगी।