श्योपुर में अब एक भी बच्चा मरा तो कलेक्टर पर कार्रवाई होगी: HC

ग्वालियर। कुपोषण से हो रहीं मौतों को लेकर संवेदनशील हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया है। नोटिस और रिमाइंडर देने के बाद भी महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कुपोषण पर कोर्ट में कोई जवाब पेश नहीं किया गया। इससे नाराज कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि श्योपुर जिले में कुपोषण से अब यदि एक भी मौत हुई तो कलेक्टर और महिला एवं बाल विकास अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।

ग्वालियर खंडपीठ में जस्टिस शील नागू आैर जस्टिस एसए धर्माधिकारी की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आजादी के 67 साल बाद भी यदि भूख से मौत हो रही है तो शासन और प्रशासन आखिर कर क्या रहा है? कुपोषण मामले में जवाब देने के लिए शासन ने कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने गंभीर मामले में भी शासन संवेदनशील नहीं है। यह शर्म की बात है। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई पर श्योपुर कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारी कोर्ट में उपस्थित रहें।

साथ ही श्योपुर जिला कलेक्टर और महिला बाल विकास अधिकारी सुनिश्चित करें कि कुपोषण से एक भी मौत न हो। यदि आज के बाद कुपोषण से एक भी मौत होती है तो दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट में वकील एसके शर्मा ने कुपोषण को लेकर जनहित याचिका लगाई है। पैरवी भी शर्मा ने खुद ही की। बता दें कि पोषाहार में कंपनियों की भागीदारी खत्म करने के मामले में इंदौर में लगी याचिका पर भी महिला एवं बाल विकास विभाग ने जवाब भेजने में देरी की थी।

पहले नोटिस फिर दिया था रिमाइंडर
कुपोषण के मामले में कोर्ट ने 2 दिसंबर 2016 को याचिका पर सुनवाई के बाद महिला बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव, श्योपुर कलेक्टर आदि को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। जवाब नहीं आया तो 3 जनवरी 2017 को सुनवाई के बाद रिमाइंडर भेजा गया। शासन ने जवाब पेश करने के लिए समय ले लिया। अब फिर वही स्थिति बनी तो कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर दी।

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