
पुनः वर्ष 2006 में छटवें केन्द्रीय वेतनमान के निर्धारण में जहॉं इस संवर्ग को ग्रेड-पे 3600 और वेतनमान 5500 का वेतनमान प्राप्त होना था, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वेतन संवर्गों को सीमित करने के प्रयास में इस संवर्ग को ग्रेड पे- 3200 और वेतनमान 4500 पर रखा जाकर फिर आर्थिक नुकसान पहुॅंचाया गया ।
हाल ही में, अन्य संवर्गों के वेतनमान विसंगतियों के निराकरण की मॉंगों के संबंध में सचिव, वित्त विभाग, म.प्र.शासन की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशें, जो प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से देखने में आई हैं, उनमें स्टेनोग्राफर संवर्ग की वेतनमान विसंगतियों का कोई जि़क्र नहीं है, जबकि इन सिफारिशों में समकक्ष संवर्ग वरि.प्रबोधक एवं अध्यापक की ग्रेड-पे की विसंगतियों के निराकरण का जि़क्र किया गया है । यह स्पष्टतः स्टेनोग्राफर्स संवर्ग के साथ शासन द्वारा किया गया क्रूरतापूर्ण पक्षपात है, उपेक्षा है, समान कार्य के लिए समान वेतनमान के सिद्धान्त की अवहेलना है ।
अनुशासित ढंग से, कठिन और गुरूतर दायित्वों का निर्वाह करने वाले इस संवर्ग के साथ अन्याय और पक्षपात् का क्रम प्रदेश के गठन के समय से सतत् जारी है । ज्ञातव्य हो कि, स्टेनोग्राफर्स संवर्ग प्रदेश का सबसे छोटा लगभग 1200 की संख्या वाला कर्मचारी संवर्ग है, और इस संवर्ग की मॉंगों की पूर्ति से प्रदेश सरकार पर कोई बहुत बड़ा वित्तीय भार भी नहीं आने वाला है ।
अतएव मध्यप्रदेश के गैर-मंत्रालयीन स्टेनोग्राफर्स संवर्ग की वेतनमान विसंगतियों का युक्तिसंगत् निराकरण भी अन्य संवर्गों के वेतनमान विसंगतियों की तरह करते हुए प्रवेश वेतनमान 5500 एवं ग्रेड-पे 3600 निर्धारित किया जाना चाहिये । आशा करते हैं कि, राजनीतिक रूप से गुणा-भाग न कर प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त का अनुपालन करते हुए इस संवर्ग की मॉंगों पर भी राज्य सरकार द्वारा ध्यान दिया जावेगा ।