JABALPUR | कानपुर के हाईप्रोफाइल JYOTI MURDER CASE में मुख्य आरोपी एवं ज्योति के पति पीयूष श्यामदासानी को कानपुर से जबलपुर लाया गया। यहां उसे प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी शिवमोहर सिंह की रिमांड कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। जहां दोनों पक्षों की ओर से लंबी बहस की गई। इसके बाद कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया। जिसमें व्यवस्था दी गई कि पीयूष को आगामी 19 जनवरी तक सेंट्रल जेल जबलपुर में न्यायिक अभिरक्षा में रखा जाए। इसके बाद पुनः कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता जबलपुर निवासी प्रतिष्ठित उद्योगपति शंकर नाग्देव की ओर से अधिवक्ता अर्पित तिवारी ने पक्ष रखा। जबकि आरोपी पीयूष श्यामदासानी आत्मज ओमप्रकाश श्यामदासानी सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आरके सिंह सैनी, मनीष तिवारी के अलावा उत्तरप्रदेश से आए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय सिंह व सोनू पंडित ने पक्ष रखा।
अमानत में खयानत का आरोप
जबलपुर निवासी शंकर नाग्देव की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने दलील दी कि पीयूष श्यामदासानी व उसके परिवार पर अमानत में खयानत का आरोप लगा है। इस परिवार ने मृतिका ज्योति के विवाह के समय दिए गए दहेज के सामान व नकद राशि आदि नहीं लौटाए हैं। इसकी शिकायत पर जबलपुर के कैंट थाने की पुलिस ने विधिवत अपराध पंजीबद्ध किया है। इसी केस के सिलसिले में जबलपुर की अदालत ने प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया, जिसके परिपालन में पीयूष को कानपुर जेल से जबलपुर लाकर अदालत में पेश किया गया है। बहस के दौरान पीयूष के वकीलों ने प्रोडक्शन वारंट की तामीली की औपचारिकता पूरी होने के बाद वापस कानपुर भेजे जाने पर बल दिया। जबकि आपत्तिकर्ता ने आगामी सुनवाई तक जबलपुर जेल में रखे जाने पर जोर दिया।
वज्र वाहन में आधा दर्जन पुलिस वाले लेकर आए
गुरुवार को पीयूष कानपुर से वज्र वाहन में अदालत परिसर में लाया गया। उसकी सुरक्षा के लिए यूपी पुलिस के 6 पुलिसकर्मी तैनात थे। इधर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में एसपी और टीआई कैंट ने भी स्थानीय पुलिस को सुरक्षा इंतजाम में चाकचौबंद कर दिया था। आपत्तिकर्ता पक्ष का आरोप है कि जब कोर्ट ने अरेस्ट के आदेश जारी कर दिए तो कैंट पुलिस को अरेस्ट करके सेंट्रल जेल भेजना था, लेकिन उससे पहले आरोपी को वज्र वाहन सहित होटल जैक्सन तक नहीं ले जाने देना था।
झूमाझटकी की स्थिति बनी
सुनवाई के पहले और बाद में हल्की फुल्की झूमाझटकी की स्थिति बनी, लेकिन भारी पुलिस ने इसे सख्तीपूर्वक रोक दिया। गुरुवार को हाईकोर्ट व जिला अदालत में अवकाश के कारण भी ज्यादा शोर-शराबे के बगैर ही शांतिपूर्ण तरीके से पूरा मामला चला। हालांकि आरोपी पक्ष का आरोप है कि स्थानीय पक्ष का मंसूबा ठीक नहीं था।