
आदित्य नाथ की संस्था हिंदू युवा वाहिनी ने एक अंग्रेजी वेबवाइट को बताया कि शनिवार को उन्होंने पार्टी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। वो 12 बजे की फ्लाइट पकड़ लखनऊ चले गए। आपको बता दें कि हिंदू युवा वाहिनी के जरिए आदित्यनाथ ने गोरखपुर और पूर्वी उत्तरप्रदेश के बड़े इलाके में अपनी पहचान बनाई है। इसका आरएसएस से कोई लेना देना नहीं है। यह स्वतंत्र संस्था है। और यही योगी आदित्यनाथ की असली ताकत भी। वो आरएसएस या भाजपा के बैकडोर से आने वाले संत महंत नहीं हैं। उनकी अपनी जमीन है। उनका अपना प्रभाव क्षेत्र है।
योगी आदित्यनाथ प्रदेश में अपने आप को सीएम उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया। उन्हें मोदी कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली। यहां तक कि भाजपा ने राज्य में होने वाले चुनाव के लिए जिन 27 लोगों की चुनाव समिति बनाई, उसमें भी उनका नाम शामिल नहीं था। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी जगह गोरखपुर से पार्टी ने शिव प्रताप शुक्ला और रमापतिराम त्रिपाठी को वरीयता दी।
आदित्यनाथ के करीबी बताते हैं कि इससे भाजपा को ही नुकसान पहुंचेगा। वो पूर्वी यूपी में भाजपा के लिए कहीं विनाशक न साबित हो जाएं। अगर पार्टी ने समय रहते इसका समाधान नहीं ढूंढा, तो पार्टी को बाद में पछताना भी पड़ सकता है।