प्रमोशन में रिजर्वेशन: शिवराज सरकार ने 10 लाख का एडवांस चेक भेजा

भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई को लेकर प्रदेश सरकार ने प्रख्यात वकील हरीश साल्वे को शुक्रवार को 10 लाख रुपए का चेक एडवांस में भेज दिया है। सुप्रीम कोर्ट में 24 जनवरी से सुनवाई शुरू होगी। सरकार अजाक्स की राय पर साल्वे का नाम तय किया था, वहीं साल्वे ने शर्त रखी थी कि वे सुनवाई की फीस एडवांस में लेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस मामले में राज्य सरकार आरक्षित वर्ग का साथ खुलकर दे रही है। पहले अजाक्स के पदाधिकारियों की पसंद पर सुनवाई के लिए नामी वकील खड़े किए गए और अब उन्हें फीस भी एडवांस दी जा रही है। साल्वे देश के सबसे महंगे वकीलों में शुमार हैं।

सूत्र बताते हैं कि मामले की एक भी सुनवाई में वे कोर्ट में खड़े नहीं हुए थे। क्योंकि उन्हें एडवांस फीस नहीं मिली थी। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने 15 दिसंबर-16 को सुनवाई के दौरान कहा था कि अब लगातार सुनवाई की जाएगी। उधर, अनारक्षित वर्ग के संगठन सपाक्स ने वकील को एडवांस फीस देने पर आपत्ति जताई है। पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार खुलकर पक्षपात पर उतर आई है, जो उसे नहीं करना चाहिए।

जबरिया का पेंच न लगाए सरकार 
सपाक्स के संस्थापक सदस्य एके जैन का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर पदोन्न्ति नियम 2002 के तहत कर्मचारियों को पदोन्नत करने की इजाजत मांग रही है। यह असल में प्रकरण को और उलझाने का तरीका है। वे कहते हैं कि प्रकरण जब फैसले पर आ गया है, तो नई मांग क्यों की जा रही है।

यदि सरकार कर्मचारियों की इतनी ही हितैषी थी, तो मई-16 जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते समय ही कोर्ट से यह निवेदन कर लेती। कम से कम हजारों कर्मचारी बगैर पदोन्नति रिटायर तो नहीं होते।
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