सागर मालवीय/मुंबई। एफएमसीजी मार्केट में जल्द ही मल्टिनैशनल कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) और रामदेव बाबा के बीच जंग शुरू होने जा रही है। ऐसी एक लड़ाई देश 1980 के दशक में देखी जा चुकी है, जब वील और निरमा के बीच मुकाबला हुआ था। एचयूएल देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी है। वह कई आयुर्वेदिक पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने जा रही है, जिसके निशाने पर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की प्रॉडक्ट्स होंगे। पतंजलि ने पिछले कुछ साल में एचयूएल जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों के सामने मजबूत चुनौती पेश की है।
पतंजलि 10 साल से कम समय में 5,000 करोड़ की कंपनी बन गई है। यह 30,000 करोड़ की सालाना आमदनी वाली एचयूएल के मुकाबले काफी छोटी है, लेकिन बाबा रामदेव की कंपनी ने सभी एफएमसीजी दिग्गजों का ध्यान खींचा है। बाबा ने भी अपनी महत्वाकांक्षा छिपाई नहीं है। इस साल अप्रैल में उन्होंने कहा था कि पतंजलि, एचयूएल की पैरेंट फर्म यूनिलीवर, कॉलगेट और नेस्ले जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों को हरा सकती है।
लक्स, डव और रिन जैसे प्रॉडक्ट्स बनाने वाली एचयूएल टूथपेस्ट से लेकर साबुन और शैंपू कैटेगरी में 20 प्रॉडक्ट्स लॉन्च करने जा रही है। वह अपने आयुष ब्रैंड के तहत इन्हें बाजार में उतारेगी। आयुष को 2001 में प्रीमियम ब्रैंड के तौर पर पेश किया गया था, लेकिन 2007 तक यह काफी पीछे छूट गया था। अब इसे आम लोगों के ब्रैंड के तौर पर पेश किया जा रहा है। इस ब्रैंड के तहत 30 रुपये से लेकर 130 रुपये के प्रॉडक्ट्स बेचे जाएंगे। एचयूएल पहले भी देसी चैलेंजर का इस तरह से मुकाबला कर चुकी है।
1980 के दशक में कर्सनभाई पटेल के डिटर्जेंट ब्रैंड निरमा ने एचयूएल के सर्फ को पीछे छोड़ दिया था। तब एफएमसीजी कंपनी ने कम कीमत का वील ब्रैंड लॉन्च किया था। निरमा और वील की लड़ाई भारतीय कॉर्पोरेट इतिहास का कभी न भुलाए जाने वाला किस्सा बन चुका है। एचयूएल पतंजलि को चुनौती देने का मन बना चुकी है, जबकि पतंजलि ने अग्रेसिव एक्सपैंशन की योजना बनाई है। ऐसे में नए साल में एफएमसीजी सेगमेंट में एक और क्लासिक कॉर्पोरेट वॉर दिख सकती है। एचयूएल के पर्सनल केयर के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर संदीप कोहली ने बताया, ‘आयुर्वेद का ट्रेंड बढ़ रहा है। आयुष को इस सेगमेंट में दिलचस्पी रखने वाले ग्राहकों को अट्रैक्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।’