जबलपुर में कलेक्टर की फर्जी सील से करोड़ों का जमीन घोटाला

जबलपुर। कलेक्ट्रेट में पदस्थ एक वरिष्ठ लिपिक शारदा बुंदेला ने अपर कलेक्टर छोटे सिंह के फर्जी सील-साइन बनाकर करोड़ों की सरकारी जमीन को सीलिंग मुक्त कराने के बाद उसे अपनी पत्नी के नाम करा दिया। पनागर के कुदवारी गांव में स्थित उक्त जमीन को लिपिक बेचने की तैयारी कर रहा था, लेकिन तीन दिन पहले एक युवक ने फर्जीवाड़े की शिकायत सीएम हाउस में कर दी। सीएम हाउस से जांच की फाइल जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंची तो हड़कंप मच गया। आनन-फानन में दो दिन के भीतर जांच कराई गई और अपर कलेक्टर छोटे सिंह के रीडर की तरफ से ओमती थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।

पुलिस के मुताबिक इस प्रकरण की जांच के दौरान सीलिंग की जमीनों को फर्जीवाड़ा कर मुक्त कराने वाले किसी बड़े स्कैंडल का खुलासा हो सकता है। इसके लपेटे में तहसीली, एसडीएम और कलेक्ट्रेट के कईबड़े अफसर आ सकते हैं। फिलहाल पुलिस की जांच जारी है। वहीं, कलेक्ट्रेट में इस प्रकरण को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों के अनुसार छुट्टी पर होने के बावजूद कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी ने सीलिंग की जमीनों से संबंधित सभी मामलों की दोबारा जांच के आदेश जारी किए हैं।

ओमती पुलिस ने बताया कि अपर कलेक्टर के रीडर नितिन श्रेंकी ने शिकायत की थी कि 5 दिसंबर को गाजी नगर निवासी शाहिद अंसारी का शिकायती पत्र मुख्यालय से जांच के लिए कलेक्ट्रेट आया था। जिसमें आरोप था कि पनागर के कुदवारी गांव में प्रेमलता श्रीवास्तव की जमीन सीलिंग में आने के कारण जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आ गई थी लेकिन हाल ही में उक्त जमीन शारदा बुंदेला की पत्नी के नाम पर दर्ज हो गई थी। शाहिद की शिकायत पर जांच की गई तो पता चला कि शारदा बुंदेला ने उक्त जमीन को अपनी पत्नी के नाम कराने के लिए अपर कलेक्टर छोटे सिंह के नाम की फर्जी सील-साइन बनाकर फाइल तैयार की और जमीन का मालिक अपनी पत्नी को बना दिया।

6 करोड़ से ज्यादा की है जमीन
शारदा बुंदेला ने फर्जीवाड़ा कर जिस 5 एकड़ जमीन को सीलिंग मुक्त कराया है उसकी वर्तमान कीमत 6 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है।

क्या कहता है नियम
सीलिंग की जमीनों को निजी व्यक्ति के नाम पर दर्ज करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। आवेदक की फाइल पहले संबंधित तहसीली कार्यालय में पहुंचती है। फिर एसडीएम की अनुमति मिलने पर अपर कलेक्टर न्यायालय में पेश की जाती है। ज्यादातर प्रकरण तहसीली स्तर पर ही निरस्त हो जाते हैं, जिसके लिए आवेदक संभागयुक्त और रेवेन्यू बोर्ड में अपील करता है। इस पूरी प्रक्रिया में वर्षों लग जाते हैं।

फरार हुआ मास्टरमाइंड
सूत्रों के अनुसार इस फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड शारदा बुंदेला जिला प्रशासन का वरिष्ठ लिपिक है, जो फरार हो चुका है। पुलिस उसे तलाश कर रही है। पुलिस का अनुमान है कि इस फर्जीवाड़े में तहसीली, एसडीएम और अपर कलेक्टर कार्यालय के कई अधिकारी-कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।

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एक शिकायत मिलने पर जांच कराई गई थी, जिसमें मेरे फर्जी सील-साइन बनाकर पनागर के कुदवारी स्थित 5 एकड़ जमीन को सीलिंग मुक्त कराकर निजी व्यक्ति के नाम कराया गया था। विभागीय जांच के बाद एफआईआर दर्ज करा दी गई है।
छोटे सिंह, अपर कलेक्टर

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अपर कलेक्टर के रीडर के शिकायती पत्र की जांच के बाद शारदा बुंदेला और उसकी पत्नी के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत अपराध दर्ज कर छानबीन की जा रही है।
अरविंद चौबे, टीआई ओमती

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