नोटबंदी के कारण पुलिस अधिकारी का अंतिम संस्कार अटका

जबलपुर। अकाल मृत्यु का शिकार हुए एक पुलिस अधिकारी का अंतिम संस्कार खटाई में पड़ गया क्योंकि पुलिस विभाग ने परोपकार निधि का नहीं दिया। यह रकम नगदी की शक्ल में मौजूद रहती है परंतु नोटबंदी के कारण सारा पैसा बैंक में जमा करा दिया और लंबी लाइन के डर से बैंक से निकाला नहीं गया। अतत: एक सिपाही ने मदद का हाथ बढ़ाया और अंतिम संस्कार हो सका। 

गोरखपुर था ना में पदस्थ एएसआई गिरवर सिंह बागरी पत्नी सावित्री और बेटे सिद्धार्थ बागरी के साथ पुलिस लाइन स्थित जी-ब्लॉक में रहता था। रविवार की सुबह 5 बजे गिरवर को अचानक सीने में दर्द उठा, जिसके बाद परिजन एंबुलेंस 108 से उसे लेकर जबलपुर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। 

पिता की मौत का सदमा और कर्ज
गिरवर की पत्नी सावित्री ने बताया कि कुछ माह पूर्व उनके ससुर की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी, जिनके इलाज के लिए पति पर काफी कर्ज हो गया था। एक माह पूर्व ससुर की मौत के बाद पति काफी दुखी रहने लगे थे। आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार पर गिरवर की मौत के बाद मानो पहाड़ टूट गया है। एएसआई की पत्नी और बेटा इस बात से भी व्यथित हैं कि मदद तो दूर उनके परिवार से मिलने विभाग का कोई भी अफसर नहीं पहुंचा।

मदद तो छोड़ो फोन तक नहीं उठाया
सावित्री ने बताया कि उन्होंने अपने देवर को रक्षित निरीक्षक कार्यालय भेजा लेकिन वहां से महिला सूबेदार और दो सिपाही कुछ देर बाद घर पहुंचे जिन्होंने कहा कि सारा पैसा बैंक में जमा करा दिया गया है। एसपी साहब भी बदल चुके हैं, इसलिए उन्हें कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में एक सिपाही आगे आया जिसने गिरवर के भाई को पैसा देकर सामग्री खरीदवाई और शमशानघाट में लकड़ी का पैसा दिया, तब जाकर ग्वारीघाट में अंतिम संस्कार हो पाया।

नोटबंद का असर
अधिकारियों का कहना है कि 8 नवम्बर को नोटबंदी आदेश के बाद सभी मदों के साथ परोपकार राशि की नकदी 500-1000 के नोट में थी, लिहाजा उसे बैंक में जमा करा दिया गया था। बैंक में लंबी लाइनें लगीं थीं इसलिए नए नोट निकाले ही नहीं गए। 
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मृत होने वाले कर्मचारियों को तत्कालिक रूप से परोपकार निधि से 50 हजार रुपए दिए जाते हैं। लेकिन नोटबंदी आदेश के तहत सभी मदों की नकदी बैंकों में जमा करा दी गई थी। एक-दो दिन में नए एसपी साहब के साइन जारी होते ही एएसआई के परिवार को राहत राशि दे दी जाएगी।
दिलीप सिंह परिहार, रक्षित निरीक्षक

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