समाधि से बाहर निकलेगा जयललिता का शव, बताएगा मौत का राज

नईदिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन से जुड़ी एक याचिका पर पूछा है कि सच जानने के लिए क्या दफ़न किए शव को निकाला जा सकता है? माना जा रहा है कि जल्द ही जय​ललिता के शव को कब्र से बाहर निकाला जाएगा और पीएम के बाद वापस दफनाया जाएगा। 

खबरों के अनुसार हाई कोर्ट ने इस मामले पर विचार करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जयललिता की मौत से जुड़े संदेहों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया. इस मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र और प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस भेजा है. इसके साथ ही यह नोटिस तमिलनाडु सरकार को भी भेजा गया है. एआईएडीएमके के प्राथमिक सदस्य पीए स्टालिन ने यह याचिका दाखिल की है. उन्होंने इस याचिका में कलकत्ता हाई कोर्ट के 1999 के निर्देश का हवाला दिया है.

स्टालिन कोर्ट से यह भी चाहते हैं कि वह राज्य प्रशासन और अपोलो हॉस्पिटल को जयललिता की मौत से जु़ड़े सारे दस्तावेज़ मुहैया कराने का निर्देश दे. हाई कोर्ट की इस बेंच ने नोटिस देने के बाद याचिका को चीफ़ जस्टिस के पास भेज दिया है ताकि इसे उचित बेंच के पास भेजा जा सके.

इस याचिका में पूछा गया है कि जयललिता दो महीने पहले बिल्कुल स्वस्थ थीं, बीमार होने पर उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, चार अक्तूबर को अपोलो हॉस्पिटल ने कहा था कि जया की स्थिति लगातार ठीक हो रही है. सरकार की तरफ से भी यही बात दोहराई गई थी.

इसी याचिका में 10 अक्तूबर को फाइनैंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पार्टी के हवाले से बताया गया कि सीएम बिल्कुल ठीक हैं. 27 अक्तूबर को एआईएडीएमके ने दावा किया कि जयललिता पूरी तरह ठीक होने की राह पर हैं और उनकी अस्पताल से छुट्टी फ़ैसला लिया जाना है.

याचिका के मुताबिक 7 नवंबर को पार्टी ने बताया कि 15 दिनों में जया अपोलो से डिसचार्ज हो सकती हैं और सब कुछ नियंत्रण में है, लेकिन 5 दिसंबर को जयललिता का निधन हो गया.

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