
कलेक्टर की मानें तो हर सरकारी आयोजन और बैठकों में पानी पीने का प्रंबंध किया जाता है, जिस में एक लीटर की बोतल का उपयोग होता है. ऐसे में समबंधित व्यक्ति उस का पूरा उपयोग नहीं कर पाता और बचा हुआ पानी व्यर्थ हो जाता है, जिसे कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है.
कलेक्टर का कहना है कि पानी पीने के लिए 250 एमएल या 150 एमएल की बोतल का ही इस्तेमाल होना चाहिए. सरकारी कार्यालयों में गिलास को अनिवार्य किया जा रहा है. जिससे पीने योग्य पानी के दुरूपयोग को रोका जा सके. कलेक्टर इसे कहीं न कहीं मुख्यमन्त्री जल स्वावलम्बन अभियान से ही जुड़ा मान रहे हैं.