
इससे पहले सोने में निवेश करने को इस्लामिक तौर पर सही नहीं माना जाता था। इस्लाम में ब्याज से होने वाली कमाई को हराम माना जाता है। लिहाजा मुस्लिम समुदाय के पास निवेश के ज्यादा विकल्प नहीं थे। मगर, अब नए शरिया स्टैंडर्ड के लागू होने के बाद माना जा रहा है कि सोने में निवेश करना गलत नहीं है। इससे सोने में चमक बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इस फैसले से भविष्य में इस्लामिक फाइनेंस मार्केट के बढ़ने की उम्मीद है।
इस्लामिक वर्ल्ड अब सोने की कीमतों के तय करने में अपनी बढ़ी हुई भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि शरिया इस्लामिक दुनिया की कानूनी व्यवस्था है, जिसे कुरान से लिया गया है। इसमें हदीद और फतवे सिविल और अपराधिक न्याय से ऊपर हैं। यह मुस्लिमो के जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करती है।