मरीज को बेवजह भर्ती करने वाले अस्पताल पर जुर्माना

इंदौर। जो जांचें घर में रहते हुए आसानी से कराई जा सकती थीं, अरबिंदो अस्पताल ने उसके लिए मरीज को चार दिन भर्ती रखा। रूम चार्जेस, सर्विस चार्जेस और इंवेस्टिगेशन फीस भी वसूली। परेशान मरीज ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। फोरम ने अस्पताल को 10 हजार रुपए मानसिक और शारीरिक परेशानी के एवज में देने के आदेश दिए।

भागीरथपुरा निवासी मिताली जायसवाल गले में गठान की शिकायत के बाद 16 जून 2011 को अरबिंदो अस्पताल गई थीं। डॉक्टरों ने उन्हें दवाइयां लिखीं और 23 जून को आने को कहा। वे इस दिन अस्पताल पहुंचीं तो उन्हें बीमारी की जानकारी नहीं दी गई। उनसे कहा गया कि जांच रिपोर्ट चार दिन बाद 27 जून को मिलेगी, तब तक भर्ती रहना होगा।

25 जून को डॉक्टरों ने मरीज के पति से ऑर्डर शीट पर वापस आने का लिखवा कर उन्हें मरीज के साथ घर जाने की अनुमति दे दी। दो दिन बाद वे वापस अस्पताल पहुंचीं तो उन्हें 2 हजार 250 रुपए पेमेंट जमा कराकर डिस्चार्ज लेने को कहा गया। डिस्चार्ज में 23 से 27 जून तक भर्ती रखने का जिक्र था, जबकि इस अवधि में सिर्फ जांच की गई थी, कोई इलाज नहीं हुआ था।

मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान होने पर मिताली ने अस्पताल के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की। फोरम ने इसे स्वीकारते हुए माना कि जो जांच मरीज के घर पर रहते हुए हो सकती थी, उनके लिए भर्ती कर अस्पताल ने सेवा में कमी की है। फोरम ने अरबिंदो अस्पताल को आदेश दिया कि मरीज को हुए मानसिक और शारीरिक परेशानी के एवज में 10 हजार रुपए दें। रकम दो महीने में नहीं देने पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा।

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