मोदी की कैशलेस पॉलिसी काली करेंसी को बना रही है भारत का भविष्य

0
नईदिल्ली। यह चौंकाने वाली खबर है और भारत की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचाने वाली भी। बाजार में नोटो की कमी के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। सरकार ने कैशलेस इंडिया का नारा दे दिया। पेटीएम जैसे ई-वॉलेट ने करोड़ों कमा भी लिए। पेटीएम चीन से वित्तपोषित कंपनी है। यहां तक भी ठीक था परंतु मोदी की कैशलेस पॉलिसी के पीछे दुनिया की सबसे काली करेंसी 'बिटकॉइन' को भारत का भविष्य बनाने की कोशिश की जा रही है। उसे भारत में प्रमोट किया जा रहा है। यदि ऐसा हो गया तो भारत की अर्थव्यवस्था पर आतंकवादियों और माफियाओं का कब्जा होगा। बता दें कि 'बिटकॉइन' एक अवैध डिजिटल मुद्रा है। यह कई देशों में प्रतिबंधित है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर केे माफिया और काले कारोबारी इसका सर्वाधिक उपयोग करते हैं। यह एक प्रकार का इंटरनेशनल हवाला कारोबार है। 

इंटरनेट पर इस वर्चुअल करेंसी की शुरुआत जनवरी 2009 में BITCOIN के नाम से हुई थी। इस वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल कर दुनिया के किसी कोने में किसी व्यक्ति को पेमेंट किया जा सकता है और सबसे खास बात यह है कि इस भुगतान के लिए किसी बैंक को माध्यम बनाने की भी जरूरत नहीं पड़तीं

कोई बैंकिंग गारंटी नहीं
बिटकॉयन का इस्तेमाल पीयर टू पीयर टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं इसका मतलब कि बिटकॉयन की मदद से ट्रांजैक्शन दो कंप्यूटर के बीच किया जा सकता हैं इस ट्रांजैक्शन के लिए किसी गार्जियन अथवा सेंट्रेल बैंक की जरूरत नहीं पड़तीं बिटकॉयन ओपन सोर्स करेंसी है। जहां कोई भी इसकी डिजाइन से लेकर कंट्रोल को अपने हाथ में रख सकता है। इस माध्यम से ट्रांजैक्शन कोई भी कर सकता है क्योंकि इसके लिए किसी तरह की रजिस्ट्रेशन अथवा आईडी की जरूरत नहीं पड़ती। इस माध्यम से ट्रांजैक्शन की तमाम ऐसी खूबिया है जो मौजूदा समय में कोई बैंकिंग ट्रांजैक्शन नहीं देती।

किसने की बिटकॉयन की शुरुआत, पता नहीं
बिटकॉयन की शुरुआत जनवरी 2009 में एक अज्ञात व्यक्ति ने की। इस व्यक्ति ने अपना उपनाम संतोषी नाकामोटो बताया और इससे ज्यादा अपने बारे में कोई जानकारी नहीं दी। हालांकि इस अज्ञात व्यक्ति ने 2010 में बिटकॉयन प्रोजेक्ट को छोड़ दिया, जिसके बाद भी बिटकॉयन ने अपने कारोबार को कई गुना बढ़ा लिया। मौजूदा समय में बिटकॉयन की टेक्नोलॉजी पूरी तरह से ओपन सोर्स होने के कारण इसके कोड में कोई भी परिवर्तन कर सकता है।

क्यों लोकप्रिय हो गई दुनिया भर में
बिटकॉयन से इंटरनेट पर आसानी से दो लोगों के बीच ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इस ट्रांजैक्शन में शामिल दोनों लोगों के बीच जान पहचान होना जरूरी नहीं है। न ही इस ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए सरकार, बैंक अथवा किसी एजेंसी की जरूरत पड़ती है। एक बार बिटकॉयन के माध्यम से ट्रांजैक्शन हो जाने के बाद इसे कैंसल नहीं किया जा सकता है। इस ट्रांजैक्शन को कुछ सेकेंड में अंजाम दिया जा सकता है और ट्रांजैक्शन होते ही बिटकॉयन दूसरे ट्रांजैक्शन को भी तुरंत करने के लिए उपलब्ध रहता है।

दुनिया में किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी
बिटकॉयन की 2009 में लॉंचिंग के बाद लगातार लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। हालांकि अभी किसी देश के केन्द्रीय बैंक ने बिटकॉयन को करेंसी की मान्यता नहीं दी है लेकिन डेल और आईबीएम जैसी कुछ मल्टीनैशनल कंपनियां बिटकॉयन के जरिए अपने नेटवर्क पर खरीदारी करने की इजाजत देती हैं। लंदन के ग्लोबल फॉरेक्स मार्केट में बिटकॉयन ट्रेड होता है लेकिन ट्रेडिंग महज वर्चुअल रहती है। इस ट्रेडिंग के आधार पर बिटकॉयन की इंटरनैशनल करेंसी बास्केट में मौजूद सभी करेंसी के सापेक्ष कीमत तय हो जाती है। फॉरेक्स मार्केट में एक बिटकॉयन की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 700 डॉलर के अधिक है।

नोटबंदी के कारण 5 गुना बढ़ गई मांग
नोटबंदी से पहले ग्लोबल मार्केट में भारतीय रुपये से जुड़ा बिटकॉयन (यूनोकॉयन) महज 20 अमेरिकी डॉलर के आसपास था लेकिन नोटबंदी के बाद नवंबर महीने में भारतीय बाजार से बिटकॉयन की मांग लगातार बढ़ी जिसके चलते बिटकॉयन मौजूदा समय भारतीय रुपये के सापेक्ष 70-100 अमेरिकी डॉलर पर ट्रेड कर रही है। फॉरेक्स मार्केट के जानकारों के मुताबिक भारतीय रुपये से जुड़े बिटकॉयन की कीमत में यह उछाल नोटबंदी के बाद भारतीय रुपये को बिटकॉयन में बदलने की कोशिशों के चलते हो सकती है।

आतंकवादियों और माफिया की पहली पसंद है
अभी भी बिटकॉयन का इस्तेमाल गिनी-चुनी कंपनियां कर रही है। इसे पॉप्युलर करने के लिए इस्तेमाल करने वालों की संख्या में जबतक बड़ा इजाफा नहीं हो जाता तबतक आम आदमी के लिए इसे सुरक्षित नहीं माना जा सकता। ग्लोबल ट्रांजैक्शन के लिए नया माध्यम होने के कारण इसके भविष्य का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। वहीं बीते 6-7 साल से बिटकॉयन के इस्तेमाल में यह भी देखने को मिला है कि अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया और आतंकवादी संगठनों के लिए भी यह पसंदीदा माध्यम है।

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!