
मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के किनारे की उपजाऊ भूमि उद्योगपतियों और पूंजीपतियों को देने की तैयारी है। नर्मदा के किनारे ही परमाणु संयंत्र के साथ 35 थर्मल पॉवर प्लांट प्रस्तावित है जिनके लिए पानी नर्मदा से ही लिया जाएगा। आने वाले समय में यही परमाणु थर्मल पॉवर प्लांट नर्मदा नदी के प्रदूषण का कारण बनेंगे।
पर्यावरणविद डॉ. सुभाष चंद्र पांडे ने भी नर्मदा सेवा यात्रा के उद्देश्यों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यात्रा के दौरान नर्मदा के किनारे जिन फलदार वृक्षों को लगाने की बात कही जा रही है, वो वृक्षों की श्रेणी में ही नहीं आते हैं। वहीं जिन संतरा, नींबू और कटहल जैसे फलदार वृक्ष लगाना तय हुआ है उनके पोषण में कीटनाशकों का उपयोग किया जाएगा जो नदी के लिए नुकसानदेह साबित होगा।
यह वृक्ष नदी के किनारे होेने वाले मिट्टी के कटाव को भी रोकने में सक्षम नहीं है। साथ ही नदी के दोनों तरह ग्रीन बेल्ट में 8 मीटर चौड़ा पाथवे बनाने को भी उन्होंने गलत फैसला बताया है। उनका कहना है इससे नदी की जैवविविधता प्रभावित होगी।