
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प की मदद करने वाले जिन लोगों की पहचान की गई है, वो सभी रूस सरकार के संपर्क में थे। ये भी कहा गया की डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी और हिलेरी क्लिंटन कैम्पेन के कुछ ईमेल हैक किए गए और ये विकीलीक्स तक भी पहुंचे। सीआईए सूत्रों के मुताबिक, जिन लोगों पर ट्रम्प कैम्पेन की मदद का शक है, वो सभी इंटेलिजेंस से ताल्लुक रखते हैं। इन लोगों ने हिलेरी के कैम्पेन को कमजोर और ट्रम्प के कैम्पेन को मजबूत करने के लिए काम किया। सीआईए के ऑफिशियल्स ने कुछ अमेरिकी सांसदों के साथ पिछले दिनों सीक्रेट मीटिंग की। इसमें सांसदों को रूस के हरकतों की जानकारी दी गई।
ट्रम्प की जीत ही था रूस का मकसद
सीआईए ने सांसदों को बताया कि रूस के बारे में जानकारी कई सोर्सेस से हासिल की गई है। सीआईए ने सांसदों से कहा- "अब ये बिल्कुल साफ है कि रूस का मकसद सिर्फ ट्रम्प की जीत था। सीआईए की जांच से पहले अक्टूबर में अमेरिकी सरकार ने भी रूस पर आरोप लगाया था कि वो डेमोक्रेटिक पार्टी के कैम्पेन पर सायबर अटैक कर उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। बराक ओबामा ने भी साफ तौर पर कहा था कि उन्होंने रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन को इस बारे में जानकारी दी थी। हालांकि, सीआईए ने अब तक मीडिया या पब्लिक प्लैटफॉर्म पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है। ट्रम्प और उनकी टीम इलेक्शन के दौरान रूस की मदद मिलने के आरोपों से इनकार कर चुकी है।
बाकी एजेंसियों ने नहीं की पुष्टि
इस मामले में एक और चीज सामने आई है। दरअसल, सीआईए ने जो आरोप लगाए हैं, उनकी पुष्टि अमेरिका की बाकी 17 खुफिया एजेंसियों ने नहीं की है। एक अमेरिकी अफसर ने कहा कि हो सकता है इन एजेंसियों के बीच इस मामले में कुछ अलग राय हो, क्योंकि कुछ सवालों के जवाब मिलने अब भी बाकी हैं।